सवाना तुल्य जलवायु क्षेत्र की स्थिति तथा विस्तार (Situation and Extent)

इस जलवायु का विस्तार भूमध्य रेखा के दोनों ओर 10° से 30° अक्षांशों के मध्य उत्तरी एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में अवस्थित होता है। यह जलवायु उष्णकटिबंधीय वन क्षेत्रों तथा गर्म एवं शीत जलवायु के मध्य एक संक्रमणीय क्षेत्र का निर्माण करती है। इसका प्रमुख विस्तार दक्षिण अमेरिका के ब्राजील, वेनेजुएला, अर्जेंटीना, तथा पराग्वे के पूर्वी भाग, अफ्रीका में सहारा के दक्षिणी क्षेत्र, इथियोपिया, सोमालिया, सूडान, नामीबिया, बोत्सवाना, तथा जिम्बाब्वे के मध्य भाग, ऑस्ट्रेलिया के मध्यवर्ती और दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्रों, एवं सूडान तक फैला हुआ है। इसके अतिरिक्त, दक्षिण-पूर्वी एशिया तथा उत्तरी अमेरिका के कुछ भागों में भी यह जलवायु पाई जाती है।
सवाना तुल्य जलवायु क्षेत्र जलवायु (Climate) कैसी है?
इस क्षेत्र में पूरे वर्षभर उच्च तापमान विद्यमान रहता है। ग्रीष्म ऋतु में तापमान कभी भी 15° सेल्सियस से नीचे नहीं जाता तथा प्रायः 30° सेल्सियस तक पहुँचता है। यहाँ सामान्यतः तीन ऋतुएँ पाई जाती हैं—शुष्क शीतकाल, शुष्क ग्रीष्मकाल, और आर्द्र ग्रीष्मकाल। वर्षा का अधिकांश भाग ग्रीष्मकाल में होता है, जबकि शीत ऋतु में वातावरण शुष्क रहता है। इस अवधि में भूमध्य रेखा से सटे क्षेत्रों में उष्णकटिबंधीय मरुस्थलों से उत्पन्न शुष्क एवं धूलमय हवाएँ प्रवाहित होती हैं। सहारा क्षेत्र के दक्षिण में इन स्थानीय पवनों को हरमट्टन, तथा मिस्र में इन्हें खमसिन कहा जाता है। सिवाना, इस जलवायु क्षेत्र का प्रमुख प्रतिनिधि नगर माना जाता है।
सवाना तुल्य जलवायु क्षेत्र की वर्षा (Rain)
सवाना क्षेत्रों में औसत वार्षिक वर्षा सामान्यतः 100 सेमी. से 150 सेमी. के बीच होती है। परंतु, चूँकि यह जलवायु क्षेत्र रेखीय एवं शुष्क प्रदेशों के मध्य एक संक्रमण पट्टी (Transitional Belt) के रूप में अवस्थित है, अतः यहाँ वर्षा में अत्यधिक परिवर्तनशीलता देखने को मिलती है। विषुवतीय रेखा के समीप स्थित सवाना प्रदेशों में वर्षा की मात्रा और अवधि तुलनात्मक रूप से अधिक होती है, जबकि शुष्क सीमांत क्षेत्रों में यह अत्यंत कम हो जाती है। इस क्षेत्र में वर्षा की एक प्रमुख विशेषता उसकी अनिश्चितता है—कभी अत्यधिक वर्षा के कारण बाढ़, तो कभी वर्षा की न्यूनता के कारण अकाल की स्थिति उत्पन्न होती है। अफ्रीकी सवाना में हरमट्टन नामक शुष्क हवाओं की उपस्थिति के कारण यहाँ शुष्कता की तीव्रता और बढ़ जाती है।
सवाना तुल्य जलवायु क्षेत्र मे वायुदाब एवं पवनें (Air Pressure and Winds)
मार्च से सितंबर के मध्य जब सूर्य उत्तरायण होता है, तब यह क्षेत्र डोलड्रम क्षेत्र के अंतर्गत आ जाता है, जिसके कारण यहाँ वायुदाब में गिरावट आती है तथा चक्रवातीय स्थितियाँ निर्मित होती हैं। इसके विपरीत, जब सूर्य दक्षिणायन होता है, तो यह क्षेत्र उपोष्ण कटिबंधीय उच्चदाब के प्रभाव में आ जाता है, जिससे प्रतिचक्रवातीय परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं। इस जलवायु क्षेत्र के तटीय हिस्सों में सागरीय समीर का प्रभाव देखा जाता है तथा पूर्वी तटों पर व्यापारिक पवनें बहती हैं। अफ्रीकी सवाना में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का विशेष प्रभाव रहता है, जबकि पश्चिमी द्वीपसमूह में इन्हें हरिकेन, और पश्चिमी अफ्रीकी तट पर टारनेडो के नाम से जाना जाता है।