प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत क्या है? (Plate Tectonic Theory)

प्लेट विवर्तनिकी सिद्धां

प्लेट का क्या अर्थ है

‘प्लेट’ शब्द का उपयोग सर्वप्रथम टूज़ो विल्सन (Tuzo Wilson) ने वर्ष 1965 में किया था। यह शब्द स्थलमंडल के उन वृहद खंडों को संदर्भित करता है, जो मैंटल की ऊपरी परत से निर्मित होते हैं।

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प्लेट विवर्तनिकी क्या है?

प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के अनुसार, पृथ्वी का ऊपरी भाग ठोस भूखंडों से निर्मित है, जिन्हें प्लेट कहा जाता है। इन प्लेटों की औसत मोटाई लगभग 100 किमी होती है, जिसमें क्रस्ट तथा ऊपरी मैंटल का कुछ भाग सम्मिलित होता है। प्लेटें दुर्बलतामंडल (Asthenosphere) के ऊपर तैरती रहती हैं, जिससे सतह पर विविध परिवर्तन होते हैं, जिसे प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonics) कहा जाता है।

प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत किसी एक व्यक्ति द्वारा प्रतिपादित नहीं किया गया, बल्कि यह विभिन्न वैज्ञानिक सिद्धांतों का समावेश है। यह वेगनर द्वारा प्रतिपादित महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत (Continental Drift Theory), भूचुंबकत्व अध्ययन तथा हैरी हेस (Harry Hess) द्वारा प्रतिपादित सागर नितल प्रसरण सिद्धांत (Seafloor Spreading Theory) के संयुक्त परिणामस्वरूप विकसित हुआ।

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प्लेटों का वितरण (Distribution of Plates)

  1. प्रशांत प्लेट (The Pacific Plate) – यह विश्व की सबसे बड़ी प्लेट है, जिसका विस्तार अलास्का से अंटार्कटिका तक प्रशांत महासागर के नितल पर पाया जाता है। यह पूरी तरह से महासागरीय क्रस्ट से निर्मित है।
  2. उत्तरी अमेरिकी प्लेट (The North American Plate) – यह प्लेट कैलिफोर्निया के सान एण्ड्रियाज़ भ्रंश द्वारा प्रशांत प्लेट से जुड़ी है और इसमें उत्तरी अमेरिका का संपूर्ण भू-भाग सम्मिलित है।
  3. यूरेशियन प्लेट (The Eurasian Plate) – इसकी पश्चिमी सीमा 35° उत्तरी अक्षांश पर मध्य अटलांटिक कटक के उत्तरी भाग से प्रारंभ होती है। यह प्लेट उत्तरी हिमालय से लेकर सम्पूर्ण यूरेशियन भू-भाग तक विस्तारित है।
  4. अफ्रीकी प्लेट (The African Plate) – इसका विस्तार 35° उत्तर से 55° दक्षिणी अक्षांश तक है। इसमें अफ्रीका महाद्वीप तथा मेडागास्कर द्वीप सम्मिलित हैं। यह दक्षिण में अंटार्कटिका प्लेट से तथा दक्षिण-पूर्व में ऑस्ट्रेलियन-भारतीय प्लेट से मिलती है।
  5. दक्षिणी अमेरिकी प्लेट (The South American Plate) – यह प्लेट मध्य अटलांटिक कटक के पश्चिम में 20° उत्तरी अक्षांश तक विस्तृत है। यह दक्षिण-पश्चिम में अंटार्कटिका प्लेट से मिलती है और इसमें दक्षिणी अमेरिका का भू-भाग तथा आसपास का महासागरीय क्षेत्र सम्मिलित है।
  6. ऑस्ट्रेलियन-भारतीय प्लेट (The Australian-Indian Plate) – इसमें ऑस्ट्रेलिया तथा भारतीय उपमहाद्वीप दोनों सम्मिलित हैं। यह हिमालय के पास यूरेशियन प्लेट से तथा न्यूज़ीलैंड के पास प्रशांत प्लेट से जुड़ी है।
  7. अंटार्कटिक प्लेट (The Antarctic Plate) – यह प्लेट अंटार्कटिका भू-भाग को सीमाबद्ध करती है और दक्षिणी महासागरों के मध्य स्थित है। यह उत्तर में ऑस्ट्रेलियन-भारतीय प्लेट, प्रशांत प्लेट, नज़्का लघु प्लेट, दक्षिणी अमेरिकी प्लेट, स्कोशिया लघु प्लेट तथा अफ्रीकी प्लेट से मिलती है।
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लघु प्लेटें (Minor Plates)

प्रारंभ में पृथ्वी पर केवल सात प्रमुख स्थलमंडलीय प्लेटों की पहचान की गई थी, लेकिन समय के साथ कुछ लघु प्लेटें (Minor Plates) भी खोजी गईं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण नज़्का प्लेट (Nazca Plate) है, जो दक्षिणी अमेरिकी प्लेट तथा पश्चिमी प्रशांत प्लेट के बीच स्थित है।

नज़्का प्लेट के ठीक उत्तर में दो अन्य लघु प्लेटें स्थित हैं, जो उत्तरी अमेरिकी प्लेट को दक्षिणी अमेरिकी प्लेट से पृथक करती हैं:

  • कैरेबियन प्लेट (Caribbean Plate) – यह मध्य अमेरिका तथा दक्षिणी कैरिबियन क्षेत्र में स्थित है।
  • कोकोस प्लेट (Cocos Plate) – यह नज़्का प्लेट के उत्तर में स्थित है और इसका उत्तरी-पश्चिमी विस्तार पश्चिमी तथा मध्य मेक्सिको में पाया जाता है, जिसे रिवेरा प्लेट (Rivera Plate) कहा जाता है।
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इस प्रकार, प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के अंतर्गत पृथ्वी की भूपर्पटी के विभाजन, उनके संचलन तथा भूगर्भीय गतिविधियों को समझने में सहायता मिलती है।

प्लेटों का पृथ्वी के घूर्णन के संदर्भ में संचलन

पृथ्वी के घूर्णन और प्लेटों के विस्थापन से संबंधित यह अवधारणा एक नवीन दृष्टिकोण प्रदान करती है। विद्वान मॉर्गन के अनुसार, पृथ्वी के घूर्णन का प्रभाव प्लेटों से निकलने वाले लावा की गतिविधियों पर पड़ता है। निम्न अक्षांशीय क्षेत्रों में ठोस हो रहे लावा में घूर्णन की वजह से दरारों का निर्माण होता है, जिसे ट्रान्स करेंट भ्रंश कहा जाता है।

मध्य महासागरीय कटक में, विशेष रूप से निम्न अक्षांशीय क्षेत्रों में, न केवल अनेक भ्रंश पाए जाते हैं, बल्कि इनका अक्ष पूर्व-पश्चिम दिशा में विस्तारित होता है। साथ ही, निम्न और मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में स्थित प्लेटों के बीच होने वाला अभिसरण प्रभाव उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों की तुलना में अधिक स्पष्ट होता है। इससे यह संकेत मिलता है कि प्लेटों के विस्तार और विरूपण पर पृथ्वी के घूर्णन का प्रभाव अत्यधिक है।

प्लेटों का परस्पर संचलन

प्लेटों के बीच परस्पर गति के आधार पर तीन प्रमुख प्रकार की सीमाएँ पहचानी गई हैं:

  1. रचनात्मक प्लेट किनारा (Constructive Plate Margin)
    जब दो प्लेटें विपरीत दिशाओं में संचालित होती हैं, तो उनके बीच पृथ्वी के अंतरतम से तप्त और तरल मैग्मा ऊपर आकर नई प्लेट का निर्माण करता है। इस प्रकार के किनारों को रचनात्मक प्लेट किनारा कहा जाता है।
  2. संरक्षी प्लेट किनारा (Conservative Plate Margin)
    यह स्थिति तब होती है, जब दो प्लेटें समानांतर दिशा में संचालित होती हैं। इसमें न तो कोई नया पदार्थ निर्मित होता है और न ही कोई पदार्थ नष्ट होता है। इस प्रक्रिया से कभी-कभी रूपांतरित भ्रंश घाटी (Transform Fault Valley) का निर्माण होता है।
  3. विनाशात्मक प्लेट किनारा (Destructive Plate Margin)
    जब एक उच्च घनत्व वाली प्लेट और एक निम्न घनत्व वाली प्लेट एक-दूसरे की ओर गति करती हैं, तो भारी प्लेट हल्की प्लेट के नीचे क्षेपित (Subducted) हो जाती है। इस स्थिति में, भारी प्लेट का हिस्सा मैंटल में नष्ट हो जाता है, जिससे प्लेट के किनारे का अपक्षय होता है। इस प्रकार के किनारों को विनाशात्मक प्लेट किनारा कहा जाता है।

अपसारी प्लेट सीमांत के विकास की प्रक्रिया

अपसारी प्लेट सीमांत (Divergent Plate Boundary) के निर्माण में तीन प्रमुख चरण शामिल हैं:

अंतःमहाद्वीपीय दरार (Intra-continental Rifting)

यह प्रक्रिया अपसारी प्लेट सीमांत के विकास की प्रारंभिक अवस्था है। इसमें प्लेट का विखंडन मैंटल में मौजूद प्लूम के संवहन धाराओं द्वारा होता है। संवहन धाराओं के ऊपर उठने के कारण भूपटल गर्म होकर गुंबदाकार हो जाता है। प्लेट में खिंचाव होने पर भ्रंशों (Rifts) का निर्माण होता है। इस खिंचाव से दाब में कमी आने पर मैग्मा की उत्पत्ति की दर बढ़ जाती है, जिससे ज्वालामुखीय गतिविधियाँ होती हैं। वर्तमान में, पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट घाटी इसका एक उदाहरण है।

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अंतरप्लेट विरलन (Inter-plate Thinning)

भ्रंश घाटी के विकास के बाद, मैंटल में उत्पन्न मैग्मा के निरंतर आरोहण से भूपटल के नीचे की परत का आंशिक गलन होता है। इससे स्थलमंडल की मोटाई में कमी आती है। प्लेट के पतले होने के साथ-साथ उसकी सतह धँसने लगती है। यह प्रक्रिया भ्रंश की गहराई और चौड़ाई को बढ़ाती है। जब रिफ्ट की गहराई बढ़ जाती है, तो समुद्र का जल उसमें प्रवेश कर सकता है। दरार से बाहर निकलने वाला मैग्मा बेसाल्टिक सतह का निर्माण करता है। वर्तमान समय में, लाल सागर (Red Sea) इस अवस्था का प्रतिनिधि है, जो अफ्रीकी भ्रंश घाटी के विस्तार का हिस्सा है।

महासागरीय कटक निर्माण (Oceanic Ridge Formation)

अंतराप्लेट विरलन की अवस्था के पश्चात, संवहन तरंगों के आरोहण, अपसरण तथा प्लेटों के विरलन के परिणामस्वरूप भ्रंश घाटी की चौड़ाई और गहराई में वृद्धि होती है। इस प्रक्रिया के कारण मैग्मा दरारों से होकर तीव्र गति से सतह पर प्रवाहित होता है, जिससे भ्रंश घाटी के समानांतर दोनों ओर बेसाल्ट से निर्मित महासागरीय कटक का निर्माण होता है। यह संरचना समुद्री तल में फैली हुई होती है और नए समुद्री क्रस्ट के निर्माण में सहायक होती है।

अभिसारी प्लेट सीमांत (Convergent Plate Boundary)

अभिसारी प्लेट सीमांत वह स्थान होता है, जहाँ दो प्लेटें आपस में टकराती हैं। इस टकराव के पश्चात, उच्च वेग एवं अधिक घनत्व वाली प्लेट मैंटल में क्षेपित हो जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान, बढ़ते तापमान के कारण क्रस्ट का क्षय होता है, जिसे विनाशात्मक सीमांत (Destructive Plate Boundary) कहा जाता है। अभिसारी प्लेट सीमांत पर तीन प्रमुख प्रकार की टक्करों को देखा जाता है:

  1. महासागरीय-महाद्वीपीय टक्कर (Oceanic-Continental Collision)
  2. महासागरीय-महासागरीय टक्कर (Oceanic-Oceanic Collision)
  3. महाद्वीपीय-महाद्वीपीय टक्कर (Continent-Continent Collision)

महासागरीय-महाद्वीपीय टक्कर (Oceanic-Continental Collision)

उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तटीय क्षेत्रों में महासागरीय-महाद्वीपीय अभिसारी प्लेट सीमांत पर प्लेटों की टक्कर से संपीड़नात्मक बल उत्पन्न होता है, जिसके प्रभाव से वलन की प्रक्रिया (Folding Process) सक्रिय होती है। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप, मोड़दार पर्वतों का निर्माण होता है।

Oceanic-Continental Collision
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जहाँ महासागरीय प्लेट मुड़कर क्षेपित होती है, वहाँ महासागरीय गर्त (Oceanic Trench) बनता है। प्लेटों के संचलन और क्षेपण से पृथ्वी की आंतरिक परतों में भ्रंशन होता है, जिससे भूकंप की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। महासागरीय प्लेट के क्षेपण के कारण बढ़ते तापमान से जब क्रस्ट आंशिक रूप से पिघलता है, तो मैग्मा का निर्माण होता है। यही मैग्मा जब सतह पर आता है, तो ज्वालामुखी गतिविधियाँ उत्पन्न होती हैं।

महासागरीय-महासागरीय टक्कर (Oceanic-Oceanic Collision)

प्रशांत महासागर के पश्चिमी भाग में महासागरीय-महासागरीय प्लेटों के टकराने के कारण महासागरीय गर्तों का निर्माण हुआ है। यह टकराव समुद्र के भीतर स्थित ज्वालामुखी द्वीप समूह के निकट होता है।

Oceanic-Oceanic Collision
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इस टकराव की प्रक्रिया से जापान, फिलीपींस और इंडोनेशिया जैसे द्वीप समूहों का निर्माण हुआ है। महासागरीय प्लेट के समुद्र तल के नीचे क्षेपण होने से, भूकंपीय गतिविधियाँ सक्रिय हो जाती हैं। इसके परिणामस्वरूप, महासागर में ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं।

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महाद्वीपीय-महाद्वीपीय टक्कर (Continent-Continent Collision)

भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के टकराने से उत्पन्न संपीड़नात्मक बल द्वारा हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण हुआ है। भारतीय प्लेट की गति अधिक होने के कारण, यह यूरेशियन प्लेट के नीचे क्षेपित हुई।

Continent-Continent Collision
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हालांकि, महाद्वीपीय क्रस्ट का घनत्व कम होने के कारण, यह अत्यधिक गहराई तक नहीं जा सका। इसके कारण, हिमालय क्षेत्र में ज्वालामुखी गतिविधियाँ नहीं देखी जातीं, लेकिन प्लेटों के संचलन के कारण भूकंप की संभावनाएँ बनी रहती हैं

समानांतर प्लेट सीमांत (Parallel Plate Boundary)

समानांतर प्लेट सीमांत वह स्थान है, जहाँ प्लेटें एक-दूसरे के समानांतर, लेकिन विपरीत दिशाओं में गति करती हैं। इस गति के कारण प्लेटों के मध्य घर्षण उत्पन्न होता है, जिससे ऊर्जा संचयित होती है। जब यह ऊर्जा अचानक मुक्त होती है, तो भूकंप जैसी भूगर्भीय घटनाएँ घटित होती हैं।

FAQs

प्लेट का क्या अर्थ है?

‘प्लेट’ शब्द स्थलमंडल के उन वृहद खंडों को संदर्भित करता है, जो मैंटल की ऊपरी परत से निर्मित होते हैं।

प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत क्या है?

पृथ्वी का ऊपरी भाग ठोस भूखंडों (प्लेटों) से निर्मित है, जो दुर्बलतामंडल पर तैरती हैं और सतह पर विविध परिवर्तन उत्पन्न करती हैं। इसे प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत कहा जाता है।

हैरी हेस ने कौन सा सिद्धांत दिया था?

हैरी हेस ने सागर नितल प्रसरण सिद्धांत (Seafloor Spreading Theory) दिया था।

प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत किसने दिया था?

यह किसी एक वैज्ञानिक का सिद्धांत नहीं था, बल्कि यह वेगनर के महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत, भूचुंबकत्व अध्ययन, और हैरी हेस के सागर नितल प्रसरण सिद्धांत के संयुक्त परिणामस्वरूप विकसित हुआ।

प्लेट कितने प्रकार के होते हैं?

प्लेट दो प्रकार के होते हैं:
स्थलीय प्लेटें (Continental Plates)
महासागरीय प्लेटें (Oceanic Plates)

सबसे बड़ी प्लेट कौन सी है?

प्रशांत प्लेट (The Pacific Plate) विश्व की सबसे बड़ी प्लेट है।

प्लेट क्यों घूमती है?

प्लेटों की गति का प्रमुख कारण मेंटल में होने वाली संवहन धाराएँ (Convection Currents) हैं, जो गर्म मैग्मा के ऊपर उठने और ठंडे मैग्मा के नीचे जाने की प्रक्रिया से उत्पन्न होती हैं।

पृथ्वी पर कितनी प्लेटें हैं?

पृथ्वी पर 7 प्रमुख स्थलमंडलीय प्लेटें और कई लघु प्लेटें हैं।

प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत की मुख्य धाराएँ क्या हैं?

रचनात्मक प्लेट किनारा (Constructive Plate Margin)
संरक्षी प्लेट किनारा (Conservative Plate Margin)
विनाशात्मक प्लेट किनारा (Destructive Plate Margin)

अपसरण क्षेत्र क्या है?

वह क्षेत्र जहाँ दो प्लेटें एक-दूसरे से दूर जा रही होती हैं, उसे अपसरण क्षेत्र (Divergent Boundary) कहा जाता है।

पृथ्वी पर कितनी छोटी प्लेटें हैं?

पृथ्वी पर कई लघु प्लेटें हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
नज़्का प्लेट (Nazca Plate)
कैरेबियन प्लेट (Caribbean Plate)
कोकोस प्लेट (Cocos Plate)
रिवेरा प्लेट (Rivera Plate)

अल्फ्रेड वेगेनर क्यों प्रसिद्ध हैं?

अल्फ्रेड वेगेनर महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत (Continental Drift Theory) के लिए प्रसिद्ध हैं।

सीफ्लोर स्प्रेडिंग का सिद्धांत किसने दिया था?

सीफ्लोर स्प्रेडिंग का सिद्धांत किसने दिया था?

सीफ्लोर स्प्रेडिंग का क्या अर्थ है?

महासागरीय तल में नई क्रस्ट के निर्माण और फैलाव की प्रक्रिया को सीफ्लोर स्प्रेडिंग (Seafloor Spreading) कहते हैं।

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