
थाईलैंड की आधिकारिक यात्रा के अंतर्गत, प्रधानमंत्री मोदी ने थाईलैंड की प्रधानमंत्री शिनावात्रा के पति पिटक सुकसावत को मीनाकारी तकनीक से सजाए गए बाघ की आकृति वाले कफ़लिंक भेंट स्वरूप प्रदान किए।
Meenakari-Art
मीनाकारी कला का विवेचन
- परिभाषा : यह कला ऐसी तकनीक है जिसमें विभिन्न धातुओं की सतह पर चमकदार रंगों द्वारा पक्षियों, पुष्पों और पत्तियों के नाटकीय रूपांकन उकेरे या सजाए जाते हैं।
- उत्पत्ति : इस कला का प्रारंभिक विकास फारस (ईरान) में हुआ।
- भारत में प्रवेश : भारत में इसका आगमन 16वीं शताब्दी के दौरान मुगल शासन के साथ हुआ।
- लोकप्रियता का क्षेत्र : यह कला मुख्य रूप से राजस्थान और गुजरात के प्रमुख क्षेत्रों में प्रचलित है।
- तकनीकी प्रक्रिया : इसमें काँच के महीन चूर्ण का प्रयोग कर धातु, रत्न या वस्त्रों पर रंगों एवं डिज़ाइनों का सृजन किया जाता है।
- रचनात्मक शैली : सामान्यतः इसमें फूलों, पत्तियों, पक्षियों और पशुओं की आकृतियाँ सम्मिलित होती हैं।
- रंगों की विशेषता : इसमें काला, नीला, हरा, गहरा पीला, लाल, नारंगी और गुलाबी जैसे महत्वपूर्ण रंग विशिष्ट रूप से प्रयुक्त होते हैं।
- प्रसिद्ध शिल्पकार : कुदरत सिंह को इस कला का जादूगर माना गया है, जिन्हें 1968 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

कफ़लिंक की विशेषताएँ

इन कफ़लिंक्स में राजसी बाघ मुखाकृति को उकेरा गया है, जो साहस एवं नेतृत्व के प्रतीकात्मक महत्व को दर्शाती है।
इन्हें उच्च कोटि की चांदी में गढ़ा गया है, जिस पर सोने की परत चढ़ाई गई है।
इसमें प्रयुक्त जीवंत तामचीनी कार्य भारत की समृद्ध आभूषण निर्माण परंपरा को उल्लेखनीय रूप से अभिव्यक्त करता है।