लोकसभा ने दिनांक 3 अप्रैल 2025 को ‘तटीय नौवहन विधेयक, 2024’ को पारित कर दिया।
तटीय नौवहन विधेयक, 2024 की रूपरेखा

यह विधेयक वर्ष 1958 के ‘मर्चेंट शिपिंग अधिनियम’ को अद्यतन कर आधुनिक विधिक उपायों को शामिल करता है तथा तटीय वाणिज्य को अधिक सुगम और प्रतिस्पर्धात्मक बनाने पर केंद्रित है।
उद्देश्य : इसका उद्देश्य तटीय वाणिज्य के लिए एक विशेषीकृत विधिक ढाँचा तैयार करना है, जिससे भारत का समुद्री क्षेत्र एक सुलभ, भरोसेमंद एवं सतत परिवहन प्रणाली के रूप में विकसित हो सके।
विधेयक के महत्वपूर्ण प्रावधान

- तटीय वाणिज्य की परिभाषा का विस्तार : यह विधेयक तटीय व्यापार की परिभाषा में माल और यात्री परिवहन के अतिरिक्त, मछली पकड़ने को छोड़ते हुए अन्वेषण, अनुसंधान तथा अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को भी सम्मिलित करता है।
- तटीय व्यापार हेतु लाइसेंस का प्रावधान : प्रस्तावित विधेयक के अंतर्गत पूर्ववर्ती अधिनियम के अनुसार पूरी तरह भारतीय स्वामित्व वाले जहाजों के लिए लाइसेंस अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है।
- लाइसेंस निरसन हेतु स्पष्ट आधार : पिछले अधिनियम में महानिदेशक को लाइसेंस को संशोधित या रद्द करने के अधिकार तो प्राप्त थे, परंतु उन आधारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया था।
- नवीन विधेयक में इन आधारों को सुव्यवस्थित किया गया है, जिनमें लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन, प्रचलित विधिक प्रावधानों का हनन या महानिदेशक के निर्देशों की अवहेलना शामिल हैं।
- दंडात्मक प्रावधानों में संशोधन : पूर्व अधिनियम के अंतर्गत, बिना लाइसेंस के तटीय वाणिज्य या समुद्री यात्रा करने पर छह माह तक कारावास या 1,000 रुपये तक जुर्माने का प्रावधान था।
- संशोधित विधेयक में यह दंड वृद्धि कर अधिकतम 15 लाख रुपये अथवा लाइसेंस रहित यात्रा से अर्जित लाभ का चार गुना, इनमें से जो अधिक हो, के आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है।
- तटीय एवं अंतर्देशीय नौवहन रणनीति : विधेयक के अनुसार, इसके प्रवर्तन की तिथि से दो वर्षों के भीतर केंद्र सरकार को एक राष्ट्रीय तटीय एवं अंतर्देशीय शिपिंग रणनीति योजना तैयार करनी होगी।
- राष्ट्रीय तटीय शिपिंग डेटाबेस की स्थापना : यह विधेयक एक संगठित राष्ट्रीय डेटाबेस स्थापित करने का प्रावधान करता है, जिससे व्यापार में पारदर्शिता एवं प्रशासनिक समन्वय में वृद्धि होगी।
- तटीय जलमार्गों का आपस में जुड़ाव : इसमें तटीय जलमार्गों को अंतर्देशीय जल नेटवर्क से जोड़ने की योजना का उल्लेख है, जिससे सड़क व रेलवे नेटवर्क पर दबाव में कमी आएगी और एक हरित, किफायती और भरोसेमंद परिवहन विकल्प को सुदृढ़ता प्राप्त होगी।
अन्य प्रावधान
- विधेयक में तटीय वाणिज्य को प्रोत्साहित करने हेतु प्राथमिकता आधारित बर्थिंग, हरित निकासी चैनल (Green Clearance Channel) तथा बंकर ईंधन पर जीएसटी में छूट जैसे सुधारात्मक प्रावधानों को शामिल किया गया है।
- इन उपायों से भारतीय जहाज स्वामियों की विदेशी जहाजों पर निर्भरता में कमी आएगी तथा देश में आत्मनिर्भर तटीय नौवहन प्रणाली को बल मिलेगा।
- विधेयक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की गई है।
- यह सहकारी संघवाद (Co-operative Federalism) की आत्मा पर आधारित है, जिसके अंतर्गत राज्य समुद्री बोर्डों और विशेषज्ञ संस्थाओं की सहभागिता से एक समन्वित राष्ट्रीय रणनीति का गठन किया जाएगा।
- यह रणनीति न केवल तटीय वाणिज्य को सशक्त करेगी, बल्कि ओडिशा, कर्नाटक, गोवा जैसे राज्यों में नदी और तटीय जलमार्गों के सर्वांगीण विकास को भी प्रोत्साहन प्रदान करेगी।

विधेयक के प्रमुख लाभ

- यह विधेयक भारत में समुद्री विधिक ढांचे को सरल, संगठित और प्रभावी बनाते हुए अनुपालन बोझ को कम करने का कार्य करेगा।
- यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल को समर्थन प्रदान करेगा, जिससे जहाज निर्माण, पोर्ट सेवाओं एवं नौवहन उद्योग में हजारों रोजगारों का सृजन संभव होगा।
- यह विधेयक तटीय व्यापार हेतु अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप एक समर्पित विधिक व्यवस्था भी प्रस्तुत करता है।