Madhya Pradesh GK

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माही नदी: उद्गम, मार्ग, परियोजनाएँ व भू-सांस्कृतिक तथ्य (MP GK)

माही नदी मध्यप्रदेश के मिंडा ग्राम से निकलकर 583 किमी की यात्रा में कर्क रेखा को दो बार काटते हुए राजस्थान व गुजरात से गुज़रती है और अंततः खंभात की खाड़ी में गिरती है। यह पश्चिमवाहिनी होने के साथ-साथ “महाती” व “महिसागर” नामों से भी जानी जाती है, तथा माही बजाज सागर व कड़ाना बाँध इसके प्रमुख जल-प्रबंधन स्थल हैं।

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ताप्ती नदी का उद्गम स्थल कहाँ है?

ताप्ती नदी का उद्गम स्थल किस जिले में है? ताप्ती नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई नगर के निकट स्थित सतपुड़ा श्रेणी से होता है। यह नदी नर्मदा नदी की भांति पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित होती है। सतपुड़ा श्रेणी में प्रवाहित होते हुए यह अनेक कंदराओं का निर्माण करती है।

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सोन नदी का उद्गम | Origin of Son River in Amarkantak, MP

सोन नदी मध्य भारत की प्रमुख दाएँ-तट की गंगा नदी की सहायक है। इसका उद्गम मध्यप्रदेश के अनूपपुर ज़िले के अमरकंटक पठार पर स्थित सोनकुंड जलस्रोत से होता है। नदी लगभग 784 km बहकर बिहार के डिहरी-on-Sone के पास गंगा से मिलती है।

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मध्य प्रदेश में केन नदी का उद्गम कहाँ से होता है? (Where does the Ken river originate in Madhya Pradesh?)

केन नदी कहाँ बहती है? केन नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के कटनी जिले में स्थित कैमूर पहाड़ियों से होता है। प्रारंभिक चरण में यह कटनी जिले में एक संकरी धारा के रूप में प्रवाहित होती है, लेकिन जैसे ही यह पन्ना जिले में प्रवेश करती है, इसका प्रवाह तीव्र एवं विस्तृत हो जाता है। इसके

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तमसा नदी का उद्गम स्थल कहाँ है?

टॉस नदी का उद्गम टॉस नदी, जिसे तमसा नदी के नाम से भी जाना जाता है, का उद्गम मध्यप्रदेश के मैहर जिले के झुलेरी क्षेत्र में स्थित कैमूर पहाड़ियों से, तमसा कुंड नामक जलाशय से हुआ है। यह नदी प्रारंभ में मैहर एवं सतना जिलों से प्रवाहित होती हुई रीवा जिले में प्रवेश करती है।

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मध्यप्रदेश मे बेतवा नदी, सिंध नदी तथा कुंवारी नदी का अध्ययन- मध्यप्रदेश का भूगोल

मध्यप्रदेश मे बेतवा नदी का उद्गम एवं प्रवाह मार्ग बेतवा नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के कुमरा गाँव (झिरी) के पास स्थित विंध्य पहाड़ी से होता है। प्रारंभिक प्रवाह के बाद यह कुछ दूरी तक मध्यप्रदेश में बहते हुए उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है। तत्पश्चात, यह पुनः मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ और निवाड़ी

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मध्यप्रदेश मे क्षिप्रा नदीअपवाह तंत्र का अध्ययन- मध्यप्रदेश का भूगोल

मध्यप्रदेश मे क्षिप्रा नदी अपवाह तंत्र का अध्ययन- मध्यप्रदेश का भूगोल

परिचय क्षिप्रा नदी का नामकरण ‘शिवप्रिया’ शब्द के अपभ्रंश स्वरूप से हुआ है। इसे वर्तमान में क्षिप्रा के नाम से जाना जाता है। ऐतिहासिक एवं धार्मिक दृष्टि से इस नदी का अत्यधिक महत्त्व है। इसे अन्य नामों जैसे पूर्ण सलिला, पापहरिणी एवं मोक्षदायिनी के रूप में भी जाना जाता है। मध्यप्रदेश मे क्षिप्रा नदी की

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मध्यप्रदेश मे चंबल नदी अपवाह तंत्र का अध्ययन- मध्यप्रदेश का भूगोल

मध्यप्रदेश मे चंबल नदी अपवाह तंत्र का अध्ययन- मध्यप्रदेश का भूगोल

चंबल नदी का उद्गम एवं समापन चंबल नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के महू (इंदौर) के समीप परशुराम कुंड, जानापाव पहाड़ी (विंध्याचल पर्वत श्रृंखला) से होता है, जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से 854 मीटर है। यह नदी उत्तर तथा उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित होती हुई राजस्थान में प्रवेश करती है। इसके पश्चात, पुनः मध्यप्रदेश में प्रविष्ट

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मध्यप्रदेश मे नर्मदा नदी के अपवाह तंत्र का अध्ययन- मध्यप्रदेश का भूगोल

मध्यप्रदेश मे नर्मदा नदी के अपवाह तंत्र का अध्ययन- मध्यप्रदेश का भूगोल

उद्गम एवं प्रवाह मार्ग नर्मदा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में मैकल पर्वत श्रृंखला की अमरकंटक पहाड़ियों पर स्थित नर्मदा कुंड (समुद्र तल से 1057 मीटर ऊँचाई) से होता है। प्रारंभिक प्रवाह में यह पंखनुमा मैकल पठार पर बहती है और कपिलधारा एवं दुग्धधारा जल प्रपात का निर्माण करती है। अनूपपुर जिले

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मध्यप्रदेश के प्रमुख अपवाह तंत्र: गंगा, नर्मदा, ताप्ती, गोदावरी, माही, महानदी—क्षेत्रफल, जिलों की सूची, राज्यवार विस्तार

मध्यप्रदेश में 6 प्रमुख अपवाह तंत्र—गंगा, नर्मदा, ताप्ती, गोदावरी, माही और महानदी—स्थित हैं, जिनमें सबसे बड़ा गंगा अपवाह तंत्र है और सबसे छोटा महानदी अपवाह तंत्र है; नर्मदा राज्य का दूसरा सबसे बड़ा तंत्र है, जबकि ताप्ती, माही और गोदावरी सीमित जिलों में फैले हुए हैं।

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मध्यप्रदेश की नदियाँ एवं अपवाह तंत्र: गंगा, नर्मदा, ताप्ती, गोदावरी, माही, महानदी | Drainage Patterns

मध्यप्रदेश को “नदियों का मायका” कहा जाता है क्योंकि यहाँ से अनेक प्रमुख नदियाँ उद्गमित होकर विभिन्न अपवाह तंत्रों—गंगा, नर्मदा, ताप्ती, गोदावरी, माही व महानदी—का निर्माण करती हैं; राज्य में वृक्षाभ, अनुगामी, अध्यारोपित व आयताकार जैसे अपवाह प्रतिरूप मिलते हैं, जिनका भू‑आकृतिक व आर्थिक महत्व परीक्षा व अध्ययन—दोनों के लिए प्रमुख है।

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मध्य प्रदेश के भौतिक क्षेत्र (2025) – मालवा, बुंदेलखंड, नर्मदा घाटी सारणी

मालवा, बुंदेलखंड, नर्मदा-सोन घाटी सहित मध्य प्रदेश के 7 भौतिक क्षेत्रों की पूरी टेबल—स्थान, मृदा, नदियाँ, ज़िले व प्रमुख फ़सलें। MP GK व UPSC के लिये एक-नज़र चार्ट।

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सतपुड़ा-मैकल पर्वत श्रेणियाँ | Satpura & Maikal Ranges of MP

सतपुड़ा-मैकल पर्वत श्रृंखला मध्य भारत में नर्मदा एवं ताप्ती नदियों के दरार-घाटी क्षेत्र के बीच स्थित है। पश्चिमी छोर पर राजपीपला पहाड़ियों से प्रारम्भ होकर पूर्व में अमरकंटक तक लगभग 900 km लंबाई में फैली यह श्रेणी नर्मदा, ताप्ती, सोन व पेंच जैसी कई नदियों का जलविभाजक बनाती है।

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बघेलखण्ड का पठार: भौगोलिक, आर्थिक एवं सामाजिक अध्ययन

बघेलखण्ड का पठार: भौगोलिक स्थिति एवं विशेषताएँ बघेलखण्ड का पठार मध्यप्रदेश के पूर्वी भाग में अवस्थित है, जिसकी भौगोलिक सीमा सोन नदी के पूर्व तथा सोन घाटी के दक्षिण में विस्तारित है। इसका अक्षांशीय विस्तार 23°40′ उत्तरी अक्षांश से 24°35′ उत्तरी अक्षांश तक तथा देशांतर 80°05′ पूर्वी देशांतर से 82°35′ पूर्वी देशांतर तक सीमित है।

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सतपुड़ा-मैकल प्रदेश | भौगोलिक स्थिति, नदियाँ, वन, खनिज

सतपुड़ा-मैकल प्रदेश मध्य भारत का 900 km लंबा पर्वतीय क्षेत्र है, जो नर्मदा-ताप्ती दरार-घाटी के बीच जलविभाजक का काम करता है। पश्चिम में राजपिपला पहाड़ियों से पूर्व में अमरकंटक तक फैले इस क्षेत्र से नर्मदा, ताप्ती, सोन और गोदावरी की उपनदियाँ निकलती हैं।

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नर्मदा-सोन घाटी: एक भौगोलिक अध्ययन

नर्मदा-सोन घाटी मध्यप्रदेश की प्रमुख नदियों में सम्मिलित नर्मदा, जिसे प्रायः “राज्य की जीवनरेखा” कहा जाता है, एवं मोक्षदायिनी सोन नदी के जलग्रहण क्षेत्र को नर्मदा-सोन घाटी के नाम से जाना जाता है। यह क्षेत्र न केवल जलस्रोतों की उपलब्धता, बल्कि भू-आकृतिक संरचना, कृषि संभावनाओं एवं खनिज संसाधनों की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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रीवा-पन्ना पठार: भूगोल, प्राकृतिक संसाधन व प्रमुख तथ्य (MP GK)

रीवा-पन्ना पठार मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित 31,955 km² का क्षेत्र है, जिसे “विन्ध्यन कगार प्रदेश” भी कहा जाता है। इसकी सर्वोच्च चोटी सद्भावना शिखर (752 m) है; प्रमुख नदियाँ टोंस व केन हैं, वार्षिक वर्षा 112.5-125 cm और ग्रीष्म तापमान 40-42.5 °C तक पहुँचता है।

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मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्वत कौन-कौन से हैं?

मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्वत कौन-कौन से हैं?

मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्वतों में विंध्य, सतपुड़ा‑मैकाल, कैमूर और भांडेर शृंखलाएँ शामिल हैं, जिनमें राज्य का सर्वोच्च शिखर धूपगढ़ (1,352मीटर, महादेव पहाड़ियाँ) है; अमरकंटक से नर्मदा का उद्गम होता है, जबकि विंध्य‑कैमूर क्षेत्र गंगा‑नर्मदा के बीच जल‑विभाजक बनाते हैं।

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मालवा पठार: स्थान, भौगोलिक संरचना, जलवायु, नदियाँ, मिट्टी, उद्योग | MP GK StudyHUB

मालवा पठार मध्यप्रदेश के मध्य‑पश्चिम में स्थित दक्कन ट्रैप मूलक बेसाल्टिक पठार है जिसका विस्तार 22°17′–25°8′ उ.अ. और 74°20′–79°20′ पू.दे. तक है; यह राज्य के लगभग 28.62% भाग को आच्छादित करता है और दक्षिण में नर्मदा, द.‑पश्चिम में गुजरात, उ.‑पश्चिम में राजस्थान से सीमित है; यहाँ सम‑शीतोष्ण जलवायु, काली मिट्टी, चंबल‑क्षिप्रा‑काली सिंध‑बेतवा नदियाँ और गेहूँ‑सोयाबीन प्रमुख हैं।

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बुंदेलखंड पठार: एक भौगोलिक व पर्यावरणीय अध्ययन

स्थिति एवं भौगोलिक स्वरूप बुंदेलखंड पठार भौगोलिक रूप से 24°06′ उत्तरी अक्षांश से 26°22′ उत्तरी अक्षांश तथा 77°51′ पूर्वी देशांतर से 80°20′ पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। यह क्षेत्र प्राचीन भू-आकृतिक संरचनाओं का एक उदाहरण है, जिसमें मुख्य रूप से बुंदेलखंड नीस चट्टानों की अपरदित सतह पाई जाती है। इसकी उत्तरी सीमा यमुना नदी

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मध्य उच्च भूमि – मध्य प्रदेश भूगोल

मध्य उच्च भूमिमध्य उच्च भूमि से आप क्या समझते हैं? मध्य उच्च भूमि एक त्रिकोणीय पठारी क्षेत्र है, जो दक्षिण में नर्मदा-सोन घाटी, पूर्व में कैमूर का कगार और पश्चिम में अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है। यह क्षेत्र राज्य के दो-तिहाई से अधिक हिस्से में फैला हुआ है। यहाँ की जल निकासी प्रणाली वृक्ष-जैसा

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मध्य प्रदेश के प्रमुख भौगोलिक विभाग (Major Geographical Divisions of Madhya Pradesh)

मध्य प्रदेश, भारतीय प्रायद्वीप का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसकी भौगोलिक संरचना मुख्यतः पठारों, पर्वतमालाओं एवं घाटियों पर आधारित है। इस राज्य की भौगोलिक विशेषताओं, जलवायु, वनस्पति, मिट्टी, खनिज संसाधन, कृषि, जनसंख्या, उद्योग एवं परिवहन की दृष्टि से इसे विभिन्न भौतिक विभागों में वर्गीकृत किया गया है। मुख्य भौगोलिक विभाजन: मध्य प्रदेश को निम्नलिखित प्रमुख

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मध्य प्रदेश की भू-वैज्ञानिक संरचना (Geological Structure of Madhya Pradesh)

परिचय भू-वैज्ञानिक संरचना किसी भी क्षेत्र की भौगोलिक और भौतिक विशेषताओं को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह संरचना विभिन्न भूगर्भीय प्रक्रियाओं और अवस्थाओं के परिणामस्वरूप विकसित होती है। किसी विशिष्ट क्षेत्र की चट्टानों का अध्ययन वहाँ की भौमिक विशेषताओं, मिट्टी की रासायनिक संरचना, और खनिज संसाधनों की उपस्थिति के निर्धारण में सहायता

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