
मालवा पठार किस राज्य में स्थित है तथा इसकी भौगोलिक संरचना क्या है?
- मालवा का पठार मध्यप्रदेश के मध्य-पश्चिमी क्षेत्र में विस्तृत है और यह राज्य का सबसे बड़ा पठारी क्षेत्र है। यह राज्य के कुल क्षेत्रफल का 28.62% भाग आच्छादित करता है।
- इसका भौगोलिक विस्तार 22°17′ उत्तरी अक्षांश से 25°8′ उत्तरी अक्षांश तथा 74°20′ पूर्वी देशांतर से 79°20′ पूर्वी देशांतर तक है।
- यह पठार दक्कन ट्रैप के ज्वालामुखीय लावा एवं बेसाल्ट चट्टानों के जमाव से निर्मित हुआ है।
- कर्क रेखा इस पठार के मध्य भाग से होकर गुजरती है, जो इसे जलवायु एवं कृषि के संदर्भ में विशिष्टता प्रदान करती है।
- इस पठार की सीमाएँ:
- दक्षिण में नर्मदा नदी
- दक्षिण-पश्चिम में गुजरात राज्य
- उत्तर-पश्चिम में राजस्थान राज्य
- उत्तर में मध्य भारत का पठार
- उत्तर-पूर्व में बुंदेलखंड की उच्च भूमि
- पूर्व में रीवा-पन्ना का पठार
- प्रशासनिक दृष्टि से यह पठार भोपाल, धार, रतलाम, मंदसौर, देवास, इंदौर, सीहोर, शाजापुर, आगर मालवा आदि जिलों तक विस्तृत है।
मालवा पठार से कौन-कौन सी नदियाँ निकलती हैं?
- इस पठार से निकलने वाली प्रमुख नदियाँ चंबल, क्षिप्रा, काली सिंध एवं बेतवा हैं, जिनमें से चंबल अपनी सहायक नदियों के माध्यम से पठार के अधिकांश भाग का जल निकास करती है।
मालवा पठार किस जलवायु क्षेत्र में आता है?
- मालवा पठार की जलवायु सम-शीतोष्ण (Moderate Continental) प्रकार की मानी जाती है, जहाँ गर्मी और सर्दी का प्रभाव संतुलित रहता है।
- मानसून के दौरान इस क्षेत्र में अरब सागर से आने वाली दक्षिण-पश्चिमी हवाएँ वर्षा प्रदान करती हैं।
- राज्य के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्रों की तुलना में यहाँ वर्षा अपेक्षाकृत कम होती है।
मालवा पठार की मिट्टी कौन सी है?
- चूँकि यह क्षेत्र ज्वालामुखीय उद्गारों से बना है, यहाँ प्रमुख रूप से काली मिट्टी (रेगुर) पाई जाती है, जो कपास एवं दलहन फसलों के लिए उपयुक्त होती है।
- वन क्षेत्र का प्रत्यक्ष अभाव है, औसतन 10% से 20% भाग पर ही वन आच्छादन देखा जाता है।
कृषि एवं खनिज संसाधन
- कृषि उत्पादन की दृष्टि से यह क्षेत्र गेहूँ एवं सोयाबीन के उत्पादन में अग्रणी है।
- इसके अतिरिक्त गन्ना, ज्वार, मक्का, चना, मूँगफली, कपास, चावल, अलसी आदि प्रमुख फसलें यहाँ उगाई जाती हैं।
- इस क्षेत्र में खनिज संसाधनों की अनुपस्थिति देखी जाती है। हालाँकि, बीच-बीच में चूना पत्थर की इंटर-ट्रेपियन परतें मिलती हैं, जो सीमित औद्योगिक उपयोग में आती हैं।
मालवा पठार में कौन-कौन से प्रमुख उद्योग हैं?
- पश्चिमी मालवा क्षेत्र मध्यप्रदेश का प्रमुख औद्योगिक केंद्र है।
- प्रमुख उद्योग:
- नागदा – कृत्रिम रेशे का कारखाना
- रतलाम, इंदौर, देवास, उज्जैन, भोपाल – सूती वस्त्र उद्योग
- भोपाल – हैवी इलेक्ट्रिकल्स एवं ऑटोमोबाइल उद्योग
- भोपाल एवं इंदौर में हवाई अड्डे स्थित हैं, जिससे यह क्षेत्र राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय परिवहन से जुड़ा हुआ है।
- प्रमुख नगर रेल परिवहन से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं।
जनसंख्या एवं आर्थिक गतिविधियाँ
- मालवा पठार में जनसंख्या का घनत्व अपेक्षाकृत अधिक है। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य का सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला जिला भोपाल (855 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी) इसी पठार में स्थित है।
- यहाँ की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि एवं पशुपालन पर आधारित है।
विशेषताएँ एवं भौगोलिक संरचना
- यह पठार समतल ऊँची भूमि के रूप में विस्तृत है, जहाँ चपटी पहाड़ियों की अधिकता देखी जाती है।
- इस पठार की ढलान संरचना में मुख्यतः तीन तत्व देखे जाते हैं:
- शीर्ष (Crest)
- मलबा ढलान (Debris Slope)
- पेडीमेंट (Pediment)
- इस पठार में गोलाभ अपक्षय (Spheroidal Weathering) की प्रवृत्ति पाई जाती है।
- यहाँ दक्कन ट्रैप के ठंडा होने से बनी षट्कोणीय संरचनाएँ (Hexagonal Basaltic Columns) देखी जा सकती हैं, जो भूगर्भीय रूप से महत्वपूर्ण हैं।
महत्वपूर्ण स्थल एवं ऐतिहासिक संदर्भ
- चीनी यात्री फाह्यान ने मालवा की जलवायु को “विश्व की सर्वश्रेष्ठ जलवायु” की संज्ञा दी थी।
- मालवा पठार की सबसे ऊँची चोटी सिगार चोटी (881 मीटर) है, अन्य महत्वपूर्ण चोटियाँ जानापाव (854 मीटर) एवं धजारी (810 मीटर) हैं।
- इस क्षेत्र को “गेहूँ की डलिया” (Basket of Wheat) के रूप में भी जाना जाता है।
- यह पठार नर्मदा एवं गंगा नदी तंत्रों के मध्य जल विभाजक (Water Divide) का कार्य करता है।
निष्कर्ष
मालवा का पठार मध्यप्रदेश का महत्वपूर्ण भौगोलिक एवं आर्थिक क्षेत्र है, जो अपनी समृद्ध कृषि, औद्योगिक विकास तथा विशिष्ट भू-आकृतिक संरचनाओं के कारण विशेष स्थान रखता है। इसकी जलवायु, मिट्टी एवं जल स्रोत इसे एक उपजाऊ क्षेत्र बनाते हैं, जबकि ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहर इसे पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाती है।
FAQs
मालवा पठार किस राज्य में स्थित है?
मालवा पठार मध्य प्रदेश के मध्य-पश्चिमी क्षेत्र में विस्तृत है और यह राज्य का सबसे बड़ा पठारी क्षेत्र है।
मालवा पठार क्यों प्रसिद्ध है?
मालवा पठार अपनी समृद्ध कृषि, औद्योगिक विकास, विशिष्ट भू-आकृतिक संरचनाओं और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
मालवा पठार की सबसे ऊंची चोटी कौन सी है?
मालवा पठार की सबसे ऊँची चोटी सिगार चोटी (881 मीटर) है, जबकि अन्य प्रमुख चोटियाँ जानापाव (854 मीटर) और धजारी (810 मीटर) हैं।
मालवा क्षेत्र में कौन-कौन से जिले आते हैं?
प्रशासनिक दृष्टि से यह पठार भोपाल, धार, रतलाम, मंदसौर, देवास, इंदौर, सीहोर, शाजापुर, आगर मालवा आदि जिलों तक विस्तृत है।
मालवा पठार से कौन-कौन सी नदियाँ निकलती हैं?
इस पठार से निकलने वाली प्रमुख नदियाँ चंबल, क्षिप्रा, काली सिंध और बेतवा हैं। इनमें से चंबल नदी अपनी सहायक नदियों के माध्यम से पठार के अधिकांश भाग का जल निकास करती है।
मालवा पठार की मिट्टी कौन सी है?
मालवा पठार में मुख्य रूप से काली मिट्टी (रेगुर) पाई जाती है, जो कपास एवं दलहन फसलों के लिए उपयुक्त होती है।
मालवा पठार में कौन सी चट्टानें पाई जाती हैं?
यह पठार दक्कन ट्रैप के ज्वालामुखीय लावा एवं बेसाल्ट चट्टानों के जमाव से निर्मित हुआ है।
मालवा का दूसरा नाम क्या है?
मालवा पठार को “गेहूँ की डलिया” (Basket of Wheat) के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह क्षेत्र गेहूँ उत्पादन में अग्रणी है।
मालवा पठार किस जलवायु क्षेत्र में आता है?
मालवा पठार की जलवायु सम-शीतोष्ण (Moderate Continental) प्रकार की मानी जाती है, जहाँ गर्मी और सर्दी का प्रभाव संतुलित रहता है
मालवा पठार में कौन-कौन से प्रमुख उद्योग हैं?
नागदा – कृत्रिम रेशे का कारखाना
रतलाम, इंदौर, देवास, उज्जैन, भोपाल – सूती वस्त्र उद्योग
भोपाल – हैवी इलेक्ट्रिकल्स एवं ऑटोमोबाइल उद्योग
क्या नर्मदा नदी मालवा पठार से होकर बहती है?
नहीं, नर्मदा नदी इस पठार के दक्षिण में बहती है और इसकी दक्षिणी सीमा का निर्माण करती है।
मालवा पठार की प्रमुख फसलें कौन-कौन सी हैं?
मुख्य फसलें गेहूँ, सोयाबीन, गन्ना, ज्वार, मक्का, चना, मूँगफली, कपास, चावल और अलसी हैं।
मालवा नाम क्यों पड़ा?
मालवा नाम प्राचीन मालव जनजाति के नाम पर पड़ा, जो इस क्षेत्र में निवास करती थी।
मालवा पठार किसका उदाहरण प्रस्तुत करता है?
मालवा पठार दक्कन ट्रैप के ज्वालामुखीय उद्गारों से बने पठारों का उत्कृष्ट उदाहरण है।
मालवा के पत्थर को किसका भंडार कहा जाता है?
मालवा पठार में चूना पत्थर (Limestone) की इंटर-ट्रेपियन परतें मिलती हैं, जो सीमित औद्योगिक उपयोग में आती हैं।