सजीव , निर्जीव तथा विषाणु किसे कहते हैं? (Living – Non – living and Viruses)

जीव विज्ञान की परिभाषा क्या है? (Introduction of Biology)

  • विज्ञान की वह शाखा, जिसके अंतर्गत जीवधारियों का अध्ययन किया जाता है, जीव विज्ञान कहलाती है। जीव विज्ञान शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों – Bios – Life (जीवन) और Logos – Study (अध्ययन) से हुई है।
  • अरस्तू को ‘जीव विज्ञान का जनक’ कहा जाता है। उन्होंने इसे विज्ञान के रूप में स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सजीवों के आधार पर जीव विज्ञान की दो प्रमुख उप-शाखाएँ हैं-
    1. वनस्पति विज्ञान (Botany)
    2. जंतु विज्ञान (Zoology)
  • ज्ञातव्य है कि थियोफ्रेस्टस को वनस्पति विज्ञान का जनक (Father of Botany) एवं अरस्तू को जीव विज्ञान का जनक (Father of Biology) माना जाता है और भारत के परिप्रेक्ष्य में विलियम रॉम्सबर्ग को भारतीय वनस्पति विज्ञान का जनक (Father of Botany of India) माना जाता है।

सजीव और निर्जीव (Living and Non-living)

हम अपने चारों ओर के वातावरण में अनेक प्रकार की वस्तुओं को देखते हैं। उनमें से कुछ वस्तुएँ सजीव होती हैं, तो कुछ निर्जीव। जैसे- पेड़-पौधे, कुत्ता, बिल्ली, बेंच, मिट्टी, पहाड़, पानी, फूल, चट्टान, खनिज आदि ये सभी वस्तुएँ मिलकर पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करती हैं।

पारिस्थितिकी तंत्र में कौन से दो घटक होते हैं?

1. सजीव पदार्थ क्या होते हैं? (Living Things)

सजीव , निर्जीव तथा विषाणु किसे कहते हैं? (Living - Non - living and Viruses)
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  • सजीव पदार्थों में जीवन होता है, साथ ही जीवन को बनाए रखने वाली क्रियाएँ होती हैं। सजीवों का शरीर कोशिकाओं का बना होता है। कोशिकाएँ वृद्धि व विभाजन द्वारा शरीर का विकास करती हैं।
  • सजीवों में चयापचय क्रियाएँ, जैसे- एनाबॉलिक और कैटाबॉलिक क्रियाएँ पाई जाती हैं। ये प्रजनन क्रिया द्वारा नए जीवों का निर्माण करते हैं।
  • सजीव पदार्थों का एक निश्चित जीवन काल होता है। इसके पश्चात् इनकी मृत्यु हो जाती है।
  • सजीवों में संचलन गति (Locomotory Motion) पाई जाती है, जिससे वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर गति करते हैं। उदाहरण के लिये पौधे सूर्य की रोशनी की ओर गति करते हैं। केंचुए मिट्टी की सतह के माध्यम से अनुदैर्ध्य और परिपत्र मांसपेशियों (Longitudinal and Circular Muscles) द्वारा गति करते हैं।
  • सजीव पदार्थों में श्वसन क्रिया पाई जाती है। वास्तव में, श्वसन एक रासायनिक प्रतिक्रिया है जिसके द्वारा कोशिकाओं में भोजन पाचन के पश्चात् ऊर्जा में परिवर्तन होता है, गैसों का परिवहन होता है।
  • सजीव पदार्थ स्पर्श के प्रति संवेदनशील होते हैं। इनमें अपने चारों ओर के वातावरण में होने वाले परिवर्तन को महसूस करने की क्षमता होती है।
  • सजीव जीवन चक्र को विभिन्न चरणों के माध्यम से पूरा करते हैं।
  • सजीव पदार्थों की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता इनमें प्रजनन क्षमता होती है, जिससे वे अपने समान संतानों की उत्पत्ति करते हैं और इस प्रकार, आनुवंशिक विशेषताएँ माता-पिता से संतानों में स्थानांतरित हो जाती हैं।
  • सजीव पोषण व पाचन जैसी क्रियाओं के माध्यम से अपनी पोषण सम्बंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं और उत्सर्जन क्रिया के माध्यम से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालते हैं।

2. निर्जीव पदार्थ क्या होते हैं? (Non-living Things)

  • निर्जीव पदार्थों में जीवन नहीं पाया जाता है। निर्जीवों में कोशिकाएँ, कोशिकाओं में वृद्धि एवं किसी भी प्रकार गति नहीं होती है।
  • निर्जीव पदार्थों में चयापचय क्रियाएँ और प्रजनन तंत्र नहीं पाए जाते हैं।
  • निर्जीव पदार्थों में जीवित रहने के लिये आवश्यक क्रियाएँ, जैसे- श्वसन, पाचन आदि क्रियाएँ नहीं पाई जाती हैं। इसके अतिरिक्त, निर्जीवों में जन्म, वृद्धि, प्रजनन और मृत्यु आदि क्रियाएँ नहीं होती हैं। यह बाहरी बल द्वारा नष्ट होती या टूटती है, यथा- पत्थर, पेन, पुस्तक, साइकिल आदि।

सजीव व निर्जीव पदार्थों में अंतर बताइये (Difference between Living & Non-living Things)

सजीव पदार्थ (Living Things)निर्जीव पदार्थ (Non-living Things)
इनमें जीवन के विभिन्न चरण पाए जाते हैं।इनमें जीवन का कोई भी चरण नहीं पाया जाता है।
यह वृद्धि करते हैं और अपने समान संतानों की उत्पत्ति करते हैं।इनमें प्रजनन नहीं पाया जाता है।
ये जीवित रहने के लिये वायु, जल और भोजन पर निर्भर रहते हैं।निर्जीवों में वायु, जल और भोजन की आवश्यकता नहीं होती है।
ये उत्तेजना (Stimuli) के प्रति संवेदनशील होते हैं।ये किसी भी प्रकार की उत्तेजना को महसूस नहीं करते हैं।
इनमें चयापचय क्रियाएँ पाई जाती हैं।इनमें किसी भी प्रकार की चयापचय क्रियाएँ नहीं पाई जाती हैं।
इनमें वृद्धि व विकास होता है।इनमें वृद्धि व विकास देखने को नहीं मिलता है।
सजीव पदार्थ एक स्थान से दूसरे स्थान पर गति करते हैंनिर्जीव पदार्थ में किसी भी प्रकार की कोई गति देखने को नहीं मिलती है।
इनकी कोशिकाओं में श्वसन व गैसों का संचरण होता है।इनमें श्वसन देखने को नहीं मिलता।
उदाहरणमानव, पशु, पौधों व कीट आदि।उदाहरणपहाड़, पेन, पुस्तक आदि।

विषाणु किसे कहते हैं? (Virus)

विषाणु एक महत्वपूर्ण प्रकार के सूक्ष्मकण होते हैं, जो सजीवों की कोशिकाओं में परजीवी (Parasite) के रूप में पाए जाते हैं। ये अत्यंत महत्वपूर्ण रूप से विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ फैलाते हैं। विषाणु सजीव और निर्जीव पदार्थों के बीच की संयोजक कड़ी हैं, क्योंकि इनमें सजीव एवं निर्जीव दोनों के लक्षण पाए जाते हैं।

सजीव , निर्जीव तथा विषाणु किसे कहते हैं? (Living - Non - living and Viruses)
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विषाणु के सजीव लक्षण क्या हैं?

  • विषाणु में प्रोटीन आवरण (Capsule) के अंदर एकल सूत्री (Single Strand) या आर.एन.ए. (RNA) एवं डी.एन.ए. (DNA) आनुवंशिक पदार्थ के रूप में पाए जाते हैं।
  • विषाणु उपयुक्त मेज़बान कोशिका में प्रवेश करने पर सक्रिय हो जाते हैं एवं जीवित जीवों के विशेष गुणों को प्रदर्शित करते हैं, जैसे कि पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता एवं स्व-प्रतिकृति की प्रक्रिया
  • यह अपनी आने वाली पीढ़ियों हेतु आनुवंशिक जानकारी का स्थानांतरण करने में सक्षम होते हैं।

विषाणु में निर्जीव पदार्थों के लक्षण क्या हैं?

  • विषाणु में जीवन से संबंधित आंतरिक संरचना एवं तंत्र का अभाव होता है।
  • इसमें बायोसिंथेटिक तंत्र का अभाव होता है, जो प्रजनन हेतु आवश्यक होता है।
  • मेज़बान कोशिका के बिना यह जीवित नहीं रह सकता, अर्थात् यह स्वतंत्र रूप से जीवन चक्र पूर्ण नहीं कर सकता।
  • कोई आंतरिक जैविक गतिविधि मेज़बान कोशिका के बाहर नहीं पाई जाती, जिससे यह एक स्थिर कार्बनिक कण के समान प्रतीत होता है।
  • इसे अपना जीवन चक्र प्रारंभ करने हेतु उपयुक्त मेज़बान कोशिका की आवश्यकता होती है

वायरॉइड (Viroid) किसे कहते है?

  • वायरॉइड्स सबसे छोटे संक्रामक रोगजनक (Pathogen) के रूप में जाने जाते हैं।
  • ये अत्यंत सूक्ष्म आर.एन.ए. के कण होते हैं, जिनमें प्रोटीन आवरण का अभाव होता है, किंतु इनमें संक्रमण कर रोग उत्पन्न करने की महत्वपूर्ण क्षमता होती है।
  • यह मुख्य रूप से पौधों में रोग फैलाने वाले कारक होते हैं, जैसे:
    • आलू में ‘तर्क कंद’ (Spindle Tuber) रोग
    • नारियल में ‘कदंग-कदंग’ (Cadang-Cadang) रोग
    • क्रिसेन्थिमम स्टंट (Chrysanthemum Stunt – CS)

प्रियान (Prions) क्या है?

  • ये सूक्ष्म संक्रामक रोगजनक होते हैं।
  • प्रियान में केवल प्रोटीन पाया जाता है, जबकि न्यूक्लिक अम्ल का अभाव होता है।
  • इनके प्रोटीन कारक गुणन (Multiply) व संक्रमण फैलाने में सक्षम होते हैं।
  • इसकी खोज स्टैनले प्रसीनर द्वारा की गई थी।
  • प्रियान संक्रमण से जुड़े रोग:
    • भेड़ों में स्क्रेपी रोग (Scrapie Disease)
    • ब्रिटेन में गायों के पागल होने (Mad Cow Disease) के लिए उत्तरदायी

विषाणु की संरचना (Structure of Virus) को कितने भागो मे विभाजित किया गया है?

विषाणु की संरचना मुख्य रूप से तीन महत्वपूर्ण भागों में विभाजित होती है:

  1. प्रोटीन कैप्सिड (Protein Capsid)
  2. न्यूक्लिक अम्ल (Nucleic Acid)
  3. आवरण (Envelope)

प्रत्येक विषाणु के चारों ओर प्रोटीन से बना एक खोल (Capsid) होता है, जिसके अंदर न्यूक्लिक अम्ल (DNA/RNA) पाया जाता है। न्यूक्लिक अम्ल आनुवंशिक वाहक के रूप में कार्य करता है।

  • जंतु विषाणुओं में न्यूक्लिक अम्ल DNA होता है।
  • पादप विषाणुओं में न्यूक्लिक अम्ल RNA होता है।

विषाणुओं कैसे प्रजनन करते हैं? (Reproduction in Viruses)

विषाणु गुणन विधि द्वारा प्रजनन करते हैं। यह ज्ञातव्य है कि विषाणु कोशिका के बाहर निष्क्रिय रहते हैं, किंतु जब यह सजीव कोशिका में प्रवेश करता है तो इसका जीवन चक्र प्रारंभ हो जाता है।

वायरस का वर्गीकरण क्या है?

विषाणु मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं:

  1. पादप विषाणु (Plant Virus)
  2. जंतु विषाणु (Animal Virus)
  3. जीवाणुभोजी (Bacteriophage)


जीवाणुभोजी क्या होते हैं? (Bacteriophage)

  • यह एक विशेष प्रकार का विषाणु होता है, जो जीवाणुओं की कोशिकाओं में पाया जाता है एवं जीवाणुओं पर ही आश्रित रहता है।
  • इसमें जीवाणुओं को संक्रमित करने की महत्वपूर्ण क्षमता होती है।
  • जीवाणुभोजी का आवरण (Capsule) प्रोटीन से बना होता है, जिसके अंदर आर.एन.ए. या डी.एन.ए. आनुवंशिक पदार्थ के रूप में पाए जाते हैं।
  • यह जीवाणुओं की कोशिका में प्रवेश कर, कोशिकाद्रव्य में आनुवंशिक पदार्थ की प्रतिकृति बनाता है।

विषाणुओं के सामान्य गुण क्या हैं? (General Characteristics of Virus)

  • इनमें कोशिका संरचना का अभाव होता है, अर्थात् कोशिका द्रव्य (Cytoplasm), कोशिका कला (Cell Membrane) एवं अन्य कोशिकीय अंगों (Cell Organelles) की अनुपस्थिति पाई जाती है।
  • विषाणु में केवल एक प्रकार का न्यूक्लिक अम्ल (DNA या RNA) होता है।
  • पादप विषाणुओं में सामान्यतः RNA पाया जाता है।
  • विषाणुओं का विस्तार जंतुओं में रक्त के माध्यम से एवं पौधों में फ्लोएम के माध्यम से होता है।
  • प्रत्येक विषाणु एक विशेष जाति को ही संक्रमित करने की क्षमता रखता है।

विषाणुओं में सजीव एवं निर्जीव गुण (Living and Non-living Characteristics in Viruses)

सजीव गुणनिर्जीव गुण
आर.एन.ए. और डी.एन.ए. की उपस्थितिकोशिका का अभाव
परजीविता और आनुवंशिकताजीवित कोशिका के बाहर प्रजनन एवं वृद्धि की क्षमता न होना
संरचनात्मक विविधताकोशिका द्रव्य (Cytoplasm) का अभाव
संवेदनशील एवं उत्परिवर्तनशील होनापोषण एवं उपापचय/चयापचय क्रिया का अभाव

विषाणुओं से लाभ (Advantages of Viruses)

  • यह सजीव एवं निर्जीव दोनों के लक्षण प्रदर्शित करता है, जिससे इसका उपयोग जैव विकास के अध्ययन में किया जा सकता है।
  • यह जल को अपघटन से बचाने में सहायक होता है, जैसे— जीवाणुभोजी जल को सड़ने से रोकते हैं।
  • यह नील-हरित शैवाल की सफाई में सहायता प्रदान करता है।

विषाणुओं से हानि (Disadvantages of Viruses)

विषाणु विभिन्न पादपों, जंतुओं और मानवों में गंभीर रोग उत्पन्न करते हैं।

फसल में रोग क्या होते हैं?

फसल का नामरोग का नाम
टमाटर (Tomato)पत्तियों की ऐंठन (Twisted Leaf Disease)
नींबू (Lemon)नाड़ी ऊत्तक क्षय (Yellowing of Veins)
बादाम (Almond)रेखा पैटर्न (Streak Pattern)
सरसों (Mustard)मोजेक (Mosaic)
तिल (Sesamum)फिल्लोडी (Phyllody)
चुकंदर (Beet)ऐंठा हुआ शिरो भाग (Twisted Apex)
भिंडी (Lady Finger)पीली नाड़ी मोजेक (Yellow Vein Mosaic)
गन्ना (Sugarcane)तृण समान प्ररोह (Grass Shoot Disease)
पपीता (Papaya)मोजेक (Mosaic)
केला (Banana)मोजेक (Mosaic)

पशुओं में कौन-कौन से रोग होते हैं?

पशु का नामवायरस का नामरोग का नाम
गायहर्पीस वायरसहर्पीस
गायब्लू टंग वायरसब्लू टंग
गायवैरियोला वैक्सीनियाचेचक
भैंसपॉक्सविरिडी आर्थेपॉक्सचेचक
चौपायारैब्डोविरिडी वैसोक्यूलो वायरसज्वर
चौपाया (कुत्ता)स्ट्रीट वायरसरेबीज
गाय एवं भैंसपिकोरनाविरीडी एफथो वायरसमुँहपका एवं खुरपका
गाय एवं भैंसपैरामिक्सोविरीडी मोरविली वायरसरिंडरपेस्ट डिजीज

मनुष्यों के रोग

रोग का नामप्रभावित होने वाले भाग
एड्स (AIDS)प्रतिरक्षा तंत्र
गलसुआ (Mumps)पैरोटिड लार ग्रंथियाँ
रेबीज (Hydrophobia)तंत्रिका तंत्र
हर्पीस (Herpes)श्लेष्म झिल्ली, त्वचा
पोलियो (Polio)तंत्रिका तंत्र
इंफ्लुएंजा (Influenza)श्वसन तंत्र
खसरा (Measles)सम्पूर्ण शरीर
चेचक (Smallpox)सम्पूर्ण शरीर
मस्तिष्क शोथ (Encephalitis)तंत्रिका तंत्र
रोहे (Trachoma)नेत्र

विषाणु जनित रोग कौन से हैं?

रोगकारकमुख्य लक्षण
चेचक (Smallpox)वायरोला मेजर और वायरोला माइनर (Virola Major and Virola Minor)हल्का ज्वर, सिरदर्द, पीठदर्द, शरीर में ऐंठन, खांसी, नाक बहना, मुँह एवं गले में छोटी-छोटी स्फोटिकाएँ (Vesicles)
सर्दी (Common Cold)राइनोवायरस (Rhinovirus)नाक बहना, छींकना, जकड़न, हल्का ज्वर, सिर में भारीपन
फ्लू-इंफ्लूएंजा (Flu-Influenza)इंफ्लूएंजा ए. और बी. (Influenza A & B)ज्वर, अतिदुर्बलता, सिर में दर्द, सूखी खांसी, आँख व नाक से पानी बहना, गले में क्षोभ
खसरा (Measles)पैरामिक्सो वायरस (Paramyxo Virus)खांसी, ज्वर, नाक बहना, आँखों का लाल होना, दो दिन पश्चात् शरीर पर लाल चकते
गलसुआ (Mumps)मम्पस ऑर्थोबुला वायरस (Mumps Orthobula Virus)ज्वर, पेशीय दर्द, सिरदर्द, निगलने में कठिनाई, पैराटिड ग्रंथि का फूलना
रुबेला/जर्मन खसरा (Rubella)रुबेला विषाणु (Rubella Virus)शरीर पर चकते, लसिका ग्रंथियों का फूलना, ज्वर, गले में दर्द, थकान
छोटी माता (Chicken Pox)वेरीसेला जोस्टर विषाणु (Varicella Zoster Virus)हल्का बुखार, थकावट, सिर में दर्द, खुजलीदार फुंसियाँ
हेपेटाइटिस (A-G)विषाणु, मदिरापान, विषाक्त पदार्थों का सेवनत्वचा का पीलापन, भूख कम लगना, लीवर सिरोसिस

जीव विज्ञान क्या है?

जीव विज्ञान विज्ञान की वह शाखा है, जिसमें जीवधारियों का अध्ययन किया जाता है। यह शब्द दो ग्रीक शब्दों से बना है— Bios (जीवन) और Logos (अध्ययन)।

जीव विज्ञान की प्रमुख उप-शाखाएँ कौन-सी हैं?

जीव विज्ञान की दो प्रमुख उप-शाखाएँ हैं:
वनस्पति विज्ञान (Botany) – पौधों का अध्ययन।
जंतु विज्ञान (Zoology) – जानवरों का अध्ययन।

सजीव पदार्थों की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

सजीव पदार्थों की विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
इनमें कोशिकाएँ पाई जाती हैं।
यह पोषण ग्रहण करते हैं और ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
इनमें श्वसन एवं चयापचय क्रियाएँ होती हैं।
यह प्रजनन करते हैं और वृद्धि करते हैं।
बाहरी उत्तेजनाओं के प्रति संवेदनशील होते हैं।
इनमें एक निश्चित जीवन चक्र होता है।

निर्जीव पदार्थों की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

निर्जीव पदार्थों की विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
इनमें कोई कोशिका नहीं होती।
इनमें श्वसन, पोषण या प्रजनन जैसी क्रियाएँ नहीं होतीं।
यह बाहरी बल द्वारा टूट सकते हैं लेकिन स्वयं विकसित नहीं होते।
इनमें कोई उत्तेजना ग्रहण करने की क्षमता नहीं होती।

विषाणु क्या होते हैं?

विषाणु सूक्ष्मकण होते हैं, जो सजीव और निर्जीव दोनों के गुण प्रदर्शित करते हैं। यह केवल जीवित कोशिकाओं के अंदर ही सक्रिय होते हैं और परजीवी रूप में पाए जाते हैं।

विषाणु के सजीव गुण क्या हैं?

विषाणु के सजीव गुण इस प्रकार हैं:
इनमें आनुवंशिक पदार्थ (DNA या RNA) पाया जाता है।
यह अपने समान प्रतिकृति बना सकते हैं।
यह परजीवी होते हैं और मेजबान कोशिका के अंदर सक्रिय रहते हैं।

विषाणु के निर्जीव गुण क्या हैं?

विषाणु के निर्जीव गुण इस प्रकार हैं:
इनमें कोई कोशिकीय संरचना नहीं होती।
यह निर्जीव पदार्थों की तरह मेजबान कोशिका के बाहर निष्क्रिय रहते हैं।
इनमें कोई स्वतः पोषण और उपापचय क्रिया नहीं होती।

विषाणु की संरचना किन भागों से मिलकर बनी होती है?

विषाणु की संरचना तीन प्रमुख भागों से बनी होती है:
प्रोटीन कैप्सिड (Protein Capsid) – यह बाहरी आवरण होता है।
न्यूक्लिक अम्ल (Nucleic Acid) – इसमें DNA या RNA पाया जाता है।
आवरण (Envelope) – कुछ विषाणुओं में अतिरिक्त सुरक्षा हेतु बाहरी परत होती है।

विषाणु कैसे प्रजनन करते हैं?

विषाणु केवल जीवित कोशिकाओं के अंदर प्रजनन कर सकते हैं। यह मेजबान कोशिका में प्रवेश कर अपनी प्रतिकृति तैयार करते हैं और नए विषाणु उत्पन्न करते हैं।

जीवाणुभोजी (Bacteriophage) क्या होते हैं?

जीवाणुभोजी ऐसे विषाणु होते हैं, जो विशेष रूप से जीवाणुओं को संक्रमित करते हैं और उन्हीं के भीतर प्रजनन करते हैं।

विषाणुओं से होने वाले कुछ प्रमुख रोग कौन-से हैं?

विषाणुओं से निम्नलिखित रोग होते हैं:
मनुष्यों में: एड्स, पोलियो, खसरा, हेपेटाइटिस, चेचक, इन्फ्लूएंजा।
पशुओं में: मुंहपका-खुरपका, रेबीज, ब्लू टंग।
पौधों में: टमाटर की पत्तियों की ऐंठन, केले का मोजेक रोग, सरसों का मोजेक।

वायरस से क्या लाभ और हानियाँ होती हैं?

लाभ:
जैव विकास के अध्ययन में सहायक होते हैं।
जल की शुद्धता बनाए रखने में मदद करते हैं।
नील-हरित शैवाल की सफाई में सहायक होते हैं।
हानियाँ:
मनुष्यों, पशुओं और पौधों में कई घातक रोग उत्पन्न करते हैं।
जैविक कृषि उत्पादन को नुकसान पहुँचाते हैं।
कई विषाणु महामारी का कारण बन सकते हैं।

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