Skip to content

चीन तुल्य जलवायु (China Type Climate)

चीन तुल्य जलवायु (China Type Climate)

चीन तुल्य जलवायु क्षेत्र की स्थिति तथा विस्तार (Situation and Extent)

चीन तुल्य जलवायु क्षेत्र की जलवायु 30° से 45° अक्षांशों के मध्य, उत्तरी एवं दक्षिणी गोलार्द्ध दोनों में विस्तृत रूप से विद्यमान रहती है। यह प्रकार मुख्यतः महाद्वीपों के पूर्वी तटीय क्षेत्रों में परिलक्षित होता है। इसके अंतर्गत दक्षिण-पूर्वी तथा दक्षिणी चीन, पो बेसिन, डैन्यूब बेसिन, दक्षिण-पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण-पूर्व ब्राज़ील, उरुग्वे, दक्षिण अफ्रीका का दक्षिण-पूर्वी भूभाग, तथा दक्षिण-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख क्षेत्र सम्मिलित हैं।

चीन तुल्य जलवायु क्षेत्र की जलवायु (Climate)

चीन तुल्य जलवायु को एक संक्रमणीय जलवायु के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। ग्रीष्म ऋतु के दौरान, यहाँ की जलवायु आर्द्र उष्णकटिबंधीय जलवायु के लक्षण प्रदर्शित करती है। इस काल में महासागरीय उष्णकटिबंधीय (MT) वायुराशियों की प्रमुख उपस्थिति देखी जाती है, जिनके प्रभाव से संवाहनीय वर्षा एवं तड़ित झंझाओं का विकास होता है। शीत ऋतु के समय औसत मासिक तापमान 4° से 12° सेल्सियस के मध्य होता है, जबकि ग्रीष्म ऋतु का तापमान सामान्यतः 24° से 26° सेल्सियस तक होता है। इस जलवायु क्षेत्र में मौसमी एवं प्रादेशिक वितरण में उल्लेखनीय अंतर पाया जाता है। प्रायः तटीय क्षेत्रों से आंतरिक भूभाग की ओर जाने पर वर्षा की मात्रा में क्रमिक कमी आती है। वर्षा मुख्यतः ग्रीष्म ऋतु में अधिक मात्रा में होती है, जो कि संवाहनीय प्रकृति की होती है। इस जलवायु की एक विशिष्ट विशेषता इसका स्थानीय मौसमी प्रभाव है। उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के अतिरिक्त, स्थानीय हवाएँ जैसे अर्जेंटीना में ‘पैम्पेरो’ तथा ऑस्ट्रेलिया में ‘सदर्ली बस्टर्स’, अत्यधिक विनाशकारी प्रभाव उत्पन्न करती हैं।

READ ALSO  ऊष्मा बजट से आप क्या समझते हैं?/What do you understand by heat budget?

चीन तुल्य जलवायु क्षेत्र की वर्षा (Rain)

इन क्षेत्रों में औसत वार्षिक वर्षा लगभग 75 सेमी. से 150 सेमी. के मध्य होती है। वर्षा का प्रादेशिक एवं मौसमी वितरण अत्यंत विषम होता है। सामान्यतः तटवर्ती क्षेत्रों से आंतरिक भागों तथा दक्षिण से उत्तर की दिशा में वर्षा की मात्रा में कमी देखी जाती है। ग्रीष्म ऋतु में संवाहनीय वर्षा के साथ-साथ तड़ित झंझाओं की भी आवृत्ति होती है। उदाहरणस्वरूप, फ्लोरिडा तट पर प्रतिवर्ष लगभग 60 से 90 तड़ित झंझा घटित होते हैं। इसके अतिरिक्त, मानसूनी हवाओं तथा शीतकालीन चक्रवातों के कारण भी वर्षा होती है। उष्णकटिबंधीय चक्रवातों, जैसे अटलांटिक महासागर में ‘हरिकेन’ और प्रशांत महासागर में ‘टाइफून’, द्वारा समुद्र तटवर्ती क्षेत्रों में भीषण वर्षा के साथ जन-धन की अत्यधिक हानि होती है।

वायुदाब एवं पवनें (Air Pressure and Winds)

मानसूनी जलवायु प्रदेशों की भाँति, इन क्षेत्रों में भी स्थल एवं सागर के मध्य वायुदाब क्रम विकसित होते हैं। ग्रीष्म ऋतु में स्थल पर निम्न वायुदाब तथा सागरीय भागों पर उच्च वायुदाब निर्मित होता है, जिससे मानसूनी पवनें सक्रिय हो जाती हैं। इनके अतिरिक्त, चीन के तटीय क्षेत्रों में ‘टाइफून’, संयुक्त राज्य अमेरिका में ‘हरिकेन’, तथा ऑस्ट्रेलिया में ‘सदर्ली बस्टर्स’ जैसे उष्णकटिबंधीय चक्रवात अत्यधिक प्रभावकारी होते हैं। शीत ऋतु में जब स्थल भाग पर उच्च वायुदाब केंद्र स्थापित हो जाते हैं, तब स्थलीय मानसून पवनें प्रवाहित होती हैं।

READ ALSO  Nal Sarovar Bird Sanctuary, Gujarat: India's Premier Wetland Haven

Leave a Reply