बादल किसे कहते है ?

बादलों का निर्माण एवं संरचना

पृथ्वी की सतह से विभिन्न ऊँचाइयों पर वायुमंडलीय क्षेत्र में जलवाष्प के संघनन द्वारा निर्मित हिम कणों अथवा जल सीकरों के समूह को ‘बादल (मेघ)’ कहा जाता है। ये बादल दरअसल जलवाष्प से उत्पन्न अत्यंत सूक्ष्म, द्रवित कण होते हैं, जो वायुमंडल में स्थिर रहते हैं।

इन सूक्ष्म जल और हिम कणों का सृजन वायुमंडल में विद्यमान आर्द्रता के संघनन के माध्यम से होता है। यह तथ्य अत्यंत महत्वपूर्ण और कुछ हद तक विचित्र प्रतीत होता है कि जल कण वायु से अधिक भारी होने के बावजूद वायुमंडल में स्थिर रहते हैं। इसका कारण यह है कि बादलों में स्थित जलकण इतने सूक्ष्म होते हैं कि वे धूलकणों की भांति वायुमंडल में तैर सकते हैं। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, मेघों की संरचना इस प्रकार होती है कि “जलकणों का समूह अपनी मात्रा की तुलना में विशाल आयतन धारण करता है। परिणामस्वरूप, वायु का प्रतिरोध उनके भार की तुलना में अधिक प्रभावी होता है और वे वायुमंडल में तैरते रहते हैं।”

बादल किसे कहते है ?
बादल किसे कहते है ?

वायुमंडल में स्थित यह सूक्ष्म जलकण धीरे-धीरे नीचे की दिशा में गति करते हैं, किंतु धरातल के समीप के स्तरों में अधिक तापमान के कारण वे पुनः वाष्पीकृत होकर ऊपर की ओर उठ जाते हैं और घनीभूत होकर जलकण में परिवर्तित हो जाते हैं। इस चक्रीय प्रक्रिया के कारण, ये कण वायुमंडल में निलंबित अथवा लटके हुए प्रतीत होते हैं, यद्यपि उनका घनत्व वायु की तुलना में अधिक होता है।

जब संघनन की यह क्रिया पर्याप्त ऊँचाई पर होती है, तो परिणामस्वरूप उत्पन्न मुक्त जलकणों का समूह ‘बादल’ कहलाता है। चूँकि इनका निर्माण धरातल की सतह से थोड़ी ऊँचाई पर होता है, इसलिए इनकी आकारिक विविधता परिलक्षित होती है।

धरातलीय जल स्रोतों—जैसे महासागर, समुद्र, झीलें और नदियाँ—के जल के वाष्पीकरण से उत्पन्न जलवाष्प वायुमंडल में ऊपर की ओर उठती है। जब यह पर्याप्त ऊँचाई पर ओसांक बिंदु तक पहुँचती है, तब संघनन की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। यदि यह प्रक्रिया हिमांक के ऊपर होती है, तो जल-सीकरों का निर्माण होता है; वहीं यदि यह हिमांक के नीचे हो, तो हिमकणों का निर्माण होता है। जब इन जल अथवा हिम कणों की संख्या में वृद्धि होती है, तो उनका समुच्चय बादलों के रूप में प्रकट होता है। वायुमंडल में भू-तल से विभिन्न ऊँचाइयों पर विविध प्रकार के बादल पाए जाते हैं, यद्यपि समतापमंडल (Stratosphere) में बादलों की अनुपस्थिति देखी जाती है।

जब बादल में स्थित सूक्ष्म जलकण या हिमकण आपस में मिलकर वृहदाकार बन जाते हैं, तब वायु का उर्ध्वगामी बल उन्हें स्थिर रखने में असमर्थ हो जाता है। परिणामस्वरूप, वे धरातल की ओर गिरने लगते हैं और यह प्रक्रिया वर्षा के रूप में संपन्न होती है।

बादलों का वर्गीकरण (Classification of Clouds)

बादलों को उनकी ऊँचाई के आधार पर तीन प्रमुख वर्गों तथा दस उप-श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत हैं। इनका वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया गया है–

बादल किसे कहते है ?

1. निम्न स्तरीय मेघ (Low Clouds)

ये मेघ पृथ्वी की सतह से लगभग 2400 मीटर की ऊँचाई तक पाए जाते हैं। इस वर्ग के अंतर्गत आने वाले प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • स्तरी-कपासी (Stratocumulus)
  • वर्षा-स्तरी (Nimbostratus)
  • कपासी (Cumulus)
  • कपासी-वर्षी (Cumulonimbus)
  • स्तरी (Stratus)

2. मध्यवर्ती ऊँचाई वाले मेघ (Medium Height Clouds)

इस श्रेणी में वे मेघ आते हैं, जो लगभग 2400 मीटर से 6000 मीटर के बीच स्थित होते हैं। इस समूह में सम्मिलित हैं:

  • उच्च-कपासी (Altocumulus)
  • उच्च-स्तरी (Altostratus)

3. उच्च स्तरीय मेघ (High Clouds)

ये मेघ 6000 मीटर से 12000 मीटर की ऊँचाई तक पाए जाते हैं और अत्यंत सूक्ष्म जलवाष्प या बर्फ कणों से निर्मित होते हैं। इनके अंतर्गत आते हैं:

  • पक्षाभ-कपासी (Cirrocumulus)
  • पक्षाभ (Cirrus)
  • पक्षाभ-स्तरी (Cirrostratus)

बादलों का वर्गीकरण अन्य आधारों पर भी किया जाता है, जो निम्नलिखित बिंदुओं पर केंद्रित होते हैं:

  • आकृति, संरचना एवं ऊर्ध्वाधर विस्तार: बादलों का आकार और उनका ऊर्ध्वगामी विकास वर्गीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • ऊँचाई: किसी बादल की स्थिति किस ऊँचाई पर है, यह भी उसके वर्गीकरण का एक मौलिक मानदंड है।
  • पारदर्शिता तथा प्रकाशीय गुणधर्म: इसमें प्रकाश के परावर्तन और प्रतिविंबन की क्षमता सम्मिलित होती है, जो बादलों के घनत्व और फैलाव पर निर्भर करती है।

इस प्रकार, बादलों का संवेदनशील विश्लेषण न केवल उनके स्वरूप की वैज्ञानिक समझ को सुदृढ़ करता है, बल्कि यह मौसम विज्ञान की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

विश्व जलवायु संगठन (World Meteorological Organization) का वर्गीकरण

यह प्रसंगवश उल्लेखनीय है कि बादलों की संख्या और विविधता इतनी अधिक है कि उन्हें सीमित श्रेणियों में वर्गीकृत करना एक जटिल कार्य बन जाता है। इसके बावजूद, विश्व जलवायु संगठन (WMO) ने वैश्विक स्तर पर बादलों का वर्गीकरण दो प्रमुख आधारों पर किया है—(1) बादलों की उत्पत्ति की प्रक्रिया एवं उनकी विशिष्ट विशेषताएँ, तथा (2) धरातल से उनकी ऊँचाई

अंतर्राष्ट्रीय बादल एटलस के प्रथम खंड में WMO ने तीन स्तरीय मानकीकृत वर्गीकरण प्रणाली को अपनाया है:

  • जेनेरा (Genera)10 प्रमुख प्रकार
  • स्पीशीज (Species)27 उपप्रकार
  • वेरायटीज़ (Varieties)3 प्रकार

ऊँचाई के आधार पर बादलों को निम्न तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
(1) उच्च स्तरीय बादल
(2) मध्यम ऊँचाई वाले बादल
(3) निम्न स्तरीय बादल


1. उच्च स्तरीय बादल (High Clouds)

ऊँचाई:

  • ध्रुवीय क्षेत्रों में: 3–8 किमी
  • शीतोष्ण क्षेत्रों में: 5–13 किमी
  • उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में: 5–18 किमी

इस वर्ग में सम्मिलित हैं:

  • पक्षाभ बादल (Cirrus Clouds)
  • पक्षाभ-स्तरी बादल (Cirrostratus Clouds)
  • पक्षाभ-कपासी बादल (Cirrocumulus Clouds)

2. मध्यम ऊँचाई के बादल (Medium Height Clouds)

ऊँचाई:

  • ध्रुवीय क्षेत्रों में: 2–4 किमी
  • शीतोष्ण क्षेत्रों में: 2–7 किमी
  • उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में: 2–8 किमी

इस वर्ग में सम्मिलित हैं:

  • उच्च-स्तरी बादल (Altostratus Clouds)
  • उच्च-कपासी बादल (Altocumulus Clouds)
  • वर्षा-स्तरी बादल (Nimbostratus Clouds)

3. निम्न स्तरीय बादल (Low Clouds)

ऊँचाई: धरातलीय सतह से लगभग 2.5 किमी तक

इस श्रेणी में सम्मिलित हैं:

  • स्तरी-कपासी बादल (Stratocumulus Clouds)
  • स्तरी बादल (Stratus Clouds)
  • कपासी बादल (Cumulus Clouds)
  • कपासी-वर्षी बादल (Cumulonimbus Clouds)

लैटिन शब्दों का व्याख्यात्मक अर्थ:

  • Cirro (Cirrus) = उच्च बादल
  • Alto = मध्यम ऊँचाई वाले बादल
  • Strato = स्तरीकृत (Stratified) बादल
  • Nimbo (Nimbus) = वर्षा लाने वाले बादल
  • Cumulus = विलग रूप में मौजूद (Detached) बादल

इस वैज्ञानिक वर्गीकरण प्रणाली के माध्यम से बादलों की पहचान, अध्ययन एवं मौसमीय विश्लेषण को सुस्पष्ट, व्यवस्थित और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाया गया है, जो मौसम विज्ञान की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

पक्षाभ मेघ (Cirrus Clouds)

वायुमंडल की सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित यह मेघ प्रकार, लगभग 6000 मीटर से 12000 मीटर के मध्य पाया जाता है। ये बादल सूक्ष्म हिम कणों से निर्मित होते हैं, जो अत्यधिक शीत ऊँचाइयों पर जलवाष्प के संघनन द्वारा बनते हैं। दिन के समय, ये मेघ सफेद रंग के होते हैं तथा इनकी आकृति अक्सर श्वेत पक्षी की पंख समान कुंडलित दिखाई देती है। इसी कारण लैटिन शब्द “Cirrus” (जिसका अर्थ है ‘घुंघराले बाल’ या ‘कुंतल’) से इनका नामकरण किया गया है।

आकृति और स्वरूप के अनुसार, इन मेघों को विभिन्न उपनामों से पहचाना जाता है, जैसे –

  • “घोड़े की पूँछ (Horse’s Tail)”,
  • “कामा आकृति (Cirrus Comus)”,
  • “कुंतल आकृति (Cirri Form)”,
  • “रेशम पट्टी”, आदि।

इनकी प्रमुख विशेषता यह है कि ये अत्यधिक घने नहीं होते, इस कारण ये पूरे आकाश को ढक नहीं पाते और आकाश में बिखरे हुए, अव्यवस्थित रूप में पाए जाते हैं। यह स्थिति प्रायः स्वच्छ मौसम और स्थायी पवनों का संकेतक होती है। तथापि, जब ये पट्टीदार रूप में व्यवस्थित होकर आकाश में चादर जैसी आकृति धारण कर लेते हैं, तो यह किसी निकटवर्ती चक्रवात या वायुमंडलीय विक्षोभ के आगमन का संकेत होता है।

बादल किसे कहते है ?
बादल किसे कहते है ?

जब इन मेघों के चारों ओर सूर्य अथवा चंद्रमा की रोशनी एक गोल प्रभामंडल (Halo) उत्पन्न करती है, तो वह इस प्रकार के बादलों का विशिष्ट सूचक होता है। इनका निर्माण विशेष रूप से 8 से 12 किमी की ऊँचाई पर होता है। इनकी उपस्थिति को बड़े सफेद पटल अथवा पक्षी के फैलाए पंखों के समान देखा जा सकता है। ये सदैव श्वेत होते हैं और उच्चतम वायुमंडलीय परतों में जलवाष्प की उपस्थिति का संकेत देते हैं, जो कभी-कभी आगामी तूफानों और चक्रवातों की ओर भी संकेत करता है।


पक्षाभ-स्तरी मेघ (Cirrostratus Clouds)

ये मेघ लगभग 6000 से 10000 मीटर की ऊँचाई पर पाए जाते हैं। जब सामान्य पक्षाभ मेघ अपनी पारंपरिक घुंघराले या रेशम जैसी आकृति की बजाय संपूर्ण आकाश में एक पतली, समान चादर की भाँति फैल जाते हैं, तब उन्हें पक्षाभ-स्तरी मेघ कहा जाता है। इनकी आकृति क्षैतिज विस्तार लिए होती है, जिससे समस्त आकाश का रंग दूधिया प्रतीत होता है।

बादल किसे कहते है ?
बादल किसे कहते है ?

इन मेघों की विशेषता यह है कि ये सूर्य या चंद्रमा के चारों ओर प्रभामंडल (Halo) या प्रकाशमंडल जैसा किरीट उत्पन्न करते हैं। यह प्राकृतिक घटना मौसम विज्ञान में एक महत्वपूर्ण संकेत मानी जाती है जो अक्सर किसी निकटवर्ती चक्रवात या तूफान के आगमन की चेतावनी होती है।


पक्षाभ-कपासी मेघ (Cirrocumulus Clouds)

यह मेघ प्रकार सामान्यतः 7000 से 10000 मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है। इनकी रचना में सूक्ष्म हिम कण होते हैं। ये मेघ छोटे-छोटे, गोलाकार, श्वेत पट्टियों के रूप में दिखाई देते हैं जो तरंग जैसी लहरदार संरचना बनाते हैं। इनकी उपस्थिति आकाश में एक विशेष दृश्य सौंदर्य उत्पन्न करती है।

बादल किसे कहते है ?
बादल किसे कहते है ?

यह मेघ सूर्य के प्रकाश को पार कर देता है और कोई छाया उत्पन्न नहीं करता। जब आकाश में ये मेघ विशेष रूप से बिखरे रहते हैं, तो इसे “मैकरेल आकाश (Mackerel Sky)” कहा जाता है, क्योंकि इसका स्वरूप समुद्री मछली मैकरेल की खाल जैसा प्रतीत होता है। यह स्थिति प्रायः प्रातःकाल में देखने को मिलती है, और जैसे ही सूर्य तीव्रता से चमकने लगता है, ये मेघ विलीन हो जाते हैं


इन तीनों उच्च स्तरीय मेघों का निर्माण सामान्यतः 7 से 12 किमी की औसत ऊँचाई पर होता है। ये मेघ न केवल वायुमंडलीय स्थितियों की जानकारी देने में सहायक होते हैं, बल्कि उनके स्वरूप और स्थिति के अनुसार आने वाले मौसम परिवर्तन का भी संकेत प्रदान करते हैं। इनका अध्ययन मौसम पूर्वानुमान और जलवायु विज्ञान में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

उच्च-स्तरी मेघ (Altostratus Clouds)

बादल किसे कहते है ?
बादल किसे कहते है ?

उच्च-स्तरी मेघ सामान्यतः वायुमंडल में 2000 से 6000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित होते हैं। ये मध्यमवर्ती स्तर के बादल होते हैं, जो समूचे आकाश को एक विशाल चादर की भाँति ढक लेते हैं। इनका रंग हल्का नीला अथवा भूरा होता है, और इनके कारण सूर्य एवं चंद्रमा की किरणें धुँधली दिखाई देती हैं, यद्यपि इन बादलों के चारों ओर कोई प्रभामंडल (halo) निर्मित नहीं होता।

वास्तव में ये घने पक्षाभ-स्तरी मेघ ही होते हैं, जिनमें सूक्ष्म जल कण अधिक मात्रा में होते हैं, जबकि हिमकण अपेक्षाकृत कम होते हैं। कई बार इनसे लगातार कई दिनों तक व्यापक वर्षा होती रहती है। मध्य अक्षांशों में उत्पन्न होने वाली अधिकांश चक्रवातीय वर्षा इन्हीं बादलों से संबद्ध होती है।

उच्च-कपासी मेघ (Altocumulus Clouds)

बादल किसे कहते है ?
बादल किसे कहते है ?

उच्च-कपासी मेघ वायुमंडल में लगभग 3000 से 8000 मीटर की ऊँचाई पर पाए जाते हैं। जब सामान्य कपासी मेघ मध्यवर्ती स्तर तक ऊपर उठ जाते हैं, तो ये भभके के रूप में आकाश में फैल जाते हैं। इनका रंग श्वेत और भूरा होता है। ये पक्षाभ-कपासी मेघों की तुलना में अधिक घने, गुब्बारदार और छायायुक्त होते हैं। ये बादल प्रायः समूहों में व्यवस्थित, लहरदार, पंक्तिबद्ध, अथवा चादर जैसे स्वरूप में होते हैं।

वर्षा-स्तरी मेघ (Nimbostratus Clouds)

वर्षा-स्तरी मेघ धरातल के निकटतम स्तर पर विकसित होते हैं। ये अत्यंत घने, आकारविहीन, तथा काले पिंड के समान प्रतीत होते हैं। इनका निर्माण जल कणों के अत्यधिक सघन पुंजों से होता है, जिन्हें वर्षा की मुँद कहना अधिक उपयुक्त है। ये बादल निरंतर और व्यापक वर्षा के लिए उत्तरदायी होते हैं। इनकी घनता इतनी अधिक होती है कि सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुँच पाता, जिससे वातावरण में अंधकार छा जाता है।

बादल किसे कहते है ?
बादल किसे कहते है ?

उपर्युक्त तीनों प्रकार के मध्यमवर्ती मेघ, औसतन 2 किमी से 7 किमी की ऊँचाई के मध्य पाए जाते हैं।

बादल किसे कहते है ?

स्तरी-कपासी मेघ (Stratocumulus Clouds)

स्तरी-कपासी मेघ सामान्यतः 3000 मीटर की ऊँचाई से अधिक नहीं होते। जब कपासी-मेघ कम ऊँचाई पर गुंबदाकार संरचना ग्रहण करते हैं, तब इन्हें इस नाम से संबोधित किया जाता है। ये मेघ गोलाकार, लहरदार, तथा क्रमबद्ध व्यवस्था में पूरे आकाश को ढक लेते हैं। इनका रंग हल्का भूरा होता है, किंतु निचले स्तर पर ये कभी-कभी काले रंग के भी हो सकते हैं। सायंकाल के समय ये क्षैतिज रूप में फैल जाते हैं।

स्तरी मेघ (Stratus Clouds)

स्तरी मेघ निम्न स्तर के बादल होते हैं, जिनकी ऊँचाई प्रायः 1 से 2 मील के मध्य होती है। ये बादल पूरे आकाश को एक सतत चादर की भाँति ढँक लेते हैं, जिससे आकाश का रंग धूसर हो जाता है। शीतोष्ण कटिबंध में ये मेघ प्रायः शीत ऋतु की शाम में दिखाई देते हैं। सूर्य के प्रकाश के कोण में परिवर्तन होने के कारण इनका रंग भी परिवर्तनशील होता है — कभी ये हल्के भूरे, धूसर, तो कभी गुलाबी, बैंगनी या नारंगी प्रतीत होते हैं।

बादल किसे कहते है ?
बादल किसे कहते है ?

कपासी मेघ (Cumulus Clouds)

कपासी मेघ अत्यधिक घने, विशाल, एवं ऊर्ध्वाधर रूप में विकसित होते हैं, जिनका आधार समतल होता है और जो गुंबदाकार दिखाई देते हैं। ये बादल प्रायः फूलती हुई गोभी के समान दिखते हैं। दोपहर के समय, जब संवाहन धाराएँ तीव्र होती हैं, ये मेघ आदर्श स्वरूप में प्रकट होते हैं। इनकी सामान्य ऊँचाई 1 से 3 मील होती है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ये प्रतिदिन दोपहर के पश्चात् बनते हैं और सायंकाल में गर्जना और वर्षा के साथ प्रकट होते हैं।

कपासी-वर्षा मेघ (Cumulonimbus Clouds)

जब कपासी मेघ अत्यधिक घने तथा काले हो जाते हैं और उनसे वर्षा तथा विद्युत-गर्जना होने लगती है, तो इन्हें गर्जन मेघ (Thunder Clouds) कहा जाता है। ये मेघ अत्यधिक ऊर्ध्वाधर विस्तार वाले होते हैं। इनका शीर्ष भाग एक निहाई (Anvil) के समान फैला होता है और यह धरातल से कई किलोमीटर की ऊँचाई तक पहुँच जाता है। कभी-कभी इनका ऊर्ध्व विस्तार 100 किमी से भी अधिक हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप शीर्ष पर सफेद हिम कण जम जाते हैं। इन मेघों से वर्षा, आँधी, गरज और कभी-कभी ओलों की भी संभावनाएँ होती हैं।

बादल किसे कहते है ?

बादल कितने प्रकार के होते हैं?

बादलों को उनकी ऊँचाई और आकृति के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। उपरोक्त सामग्री के अनुसार, प्रमुख रूप से मध्यमवर्ती, निम्न, और ऊर्ध्वाधर रूप से विकसित बादलों के प्रकारों का वर्णन किया गया है। इनमें उच्च-स्तरी मेघ, उच्च-कपासी मेघ, वर्षा-स्तरी मेघ, स्तरी-कपासी मेघ, स्तरी मेघ, कपासी मेघ, तथा कपासी-वर्षा मेघ सम्मिलित हैं।

4 प्रकार के बादल कौन से हैं?

सामान्यतः चार प्रमुख प्रकार के बादलों को स्वीकार किया जाता है:
स्तरी मेघ (Stratus)
कपासी मेघ (Cumulus)
वर्षा-स्तरी मेघ (Nimbostratus)
पक्षाभ मेघ (Cirrus) — यद्यपि सिरस मेघ का वर्णन सीधे इस सामग्री में नहीं है, परंतु अन्य प्रमुख तीनों प्रकारों का विस्तारपूर्वक वर्णन उपलब्ध है।

पृथ्वी से बादल कितने ऊपर होते हैं?

बादलों की ऊँचाई उनके प्रकार पर निर्भर करती है। उदाहरणस्वरूप,
उच्च-स्तरी मेघ: 2000 से 6000 मीटर
उच्च-कपासी मेघ: 3000 से 8000 मीटर
स्तरी-कपासी मेघ: अधिकतम 3000 मीटर
स्तरी मेघ: लगभग 1 से 2 मील
कपासी-वर्षा मेघ: कभी-कभी 100 किमी तक ऊँचाई प्राप्त कर सकते हैं।

सबसे ऊंचा मेघ कौन सा है?

सबसे ऊँचाई तक विकसित होने वाला बादल कपासी-वर्षा मेघ (Cumulonimbus Cloud) होता है, जो धरातल से लेकर 100 किलोमीटर तक ऊँचाई में विस्तृत हो सकता है। इसका शीर्ष भाग अक्सर निहाई (Anvil) के आकार का होता है।

सर्वाधिक वर्षा वाला बादल कौन सा है?

वर्षा-स्तरी मेघ (Nimbostratus Clouds) और कपासी-वर्षा मेघ (Cumulonimbus Clouds) सर्वाधिक वर्षा उत्पन्न करने वाले बादल हैं। निंबोस्ट्रेटस मेघ से लगातार और व्यापक वर्षा होती है, जबकि क्युम्युलोनिंबस मेघ से गर्जन, आँधी, वर्षा और ओले गिर सकते हैं।

मेघ कितने प्रकार के होते हैं?

उपरोक्त सामग्री में कुल सात प्रकार के बादलों का वर्णन है:
उच्च-स्तरी मेघ (Altostratus)
उच्च-कपासी मेघ (Altocumulus)
वर्षा-स्तरी मेघ (Nimbostratus)
स्तरी-कपासी मेघ (Stratocumulus)
स्तरी मेघ (Stratus)
कपासी मेघ (Cumulus)
कपासी-वर्षा मेघ (Cumulonimbus)

आकाश में सबसे ऊंची बादल कौन सी होती है?

कपासी-वर्षा मेघ (Cumulonimbus) आकाश में सबसे ऊँचाई तक पहुँचने वाले मेघ हैं। ये धरातल से लेकर लगभग 100 किलोमीटर तक ऊर्ध्वाधर रूप में फैल सकते हैं और इनके शीर्ष पर हिम कण जमा हो जाते हैं।

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