कुहरे का उद्भव वायुमंडलीय जलवाष्प से निर्मित एक विशिष्ट प्रकार के वाताग्र के रूप में होता है, जो पृथ्वी के धरातल के अत्यंत समीप अवस्थित रहता है। जब धरातल के निकट स्थित वायुमंडलीय वायु का तापमान घटकर शीतल हो जाता है, तब उसमें उपस्थित जलकण वायुमंडल की पारदर्शिता अथवा दृश्यता को प्रभावित करते हैं, और इस घटना को ‘कुहरा’ के नाम से अभिहित किया जाता है।
कुहरे का निर्माण मुख्यतः धरातल के समीप विकिरण (Radiation), परिचालन (Conduction) तथा गर्म एवं शीतल वायुराशियों के आपसी मिश्रण के परिणामस्वरूप होता है। जब धरातल के पास वायु का तापमान ओसांक (Dew Point) तक पहुँच जाता है, तो संघनन की प्रक्रिया आरंभ होती है, जिसके फलस्वरूप वायुमंडल में व्याप्त जलवाष्प धूलकणों, धुएँ आदि के चारों ओर संगठित होकर सूक्ष्म जल बिंदुओं में परिवर्तित हो जाती है। ये जलकण अपनी अत्यल्प घनता के कारण वायुमंडल में निलंबित रहते हैं और धुंध के समान एक बादलीय परत का निर्माण करते हैं।
कुहरा कितने प्रकार का होता है?
कुहरे के प्रकार (Types of Fog)
दृश्यता (Visibility) के आधार पर कुहरे को निम्नलिखित चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है-
- हल्का कुहरा (Light fog) – जिसमें दृश्यता 1100 मीटर तक सीमित रहती है।
- साधारण कुहरा (Moderate fog) – जिसमें दृश्यता 1100.5 मीटर तक पाई जाती है।
- सघन कुहरा (Thick fog) – जिसमें दृश्यता 550.3 मीटर तक घट जाती है।
- अति-सघन कुहरा (Dense fog) – जिसमें दृश्यता 300 मीटर से भी कम रह जाती है।
कुहरे का वर्गीकरण निर्माण विधि (ओसांक प्राप्त होने की विधि) के आधार पर
कुहरे का वर्गीकरण उसकी निर्माण विधि अथवा ओसांक तक पहुँचने के तरीके के आधार पर दो प्रमुख श्रेणियों में किया गया है-
- अंतरा-वायुराशी कुहरा (Intra-Air Mass Fog), जो तब उत्पन्न होता है जब वायु का तापमान घटकर ओसांक तक पहुँच जाता है।
- वाताग्र अथवा सीमांत कुहरा (Frontal Fog), जिसका निर्माण वायु में आर्द्रता के वृद्धि के परिणामस्वरूप होता है।
सामान्यतः, कुहरे को निम्नलिखित प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है-
- विकिरण कुहरा (Radiation Fog)
- अभिवहन कुहरा (Advectional Fog)
- सीमाग्र कुहरा (Frontal Fog)
विकिरण कुहरा किसे कह्ते है?
विकिरण कुहरा (Radiation Fog)

विकिरण कुहरे का सृजन केवल स्थलीय क्षेत्रों के ऊपर होता है, तथा इसका उद्भव पृथ्वी की सतह से निरंतर हो रहे विकिरणीय ताप क्षय के कारण होता है। रात्रि के समय विकिरण के माध्यम से वायुमंडलीय तापमान धीरे-धीरे घटता है, किन्तु धरातल की सतह अत्यंत तीव्रता से शीतल होती है तथा वह अपने ऊपर की वायु परत की अपेक्षा अधिक ठंडी हो जाती है।
इस तापान्तर के परिणामस्वरूप कुहरे का निर्माण होता है। कभी-कभी यह कुहरा अत्यधिक सघन हो जाता है, किन्तु प्रायः यह प्रातःकालीन सूर्योदय के साथ ही लुप्त हो जाता है। सामान्यतः धरातल पर कुहरे का गठन विकिरण (Radiation) एवं संचालन (Conduction) द्वारा उत्पन्न ताप क्षरण से होता है।
विकिरण कुहरे के निर्माण के लिए कुछ आदर्श परिस्थितियाँ निम्नवत् हैं-
- कुहरा बनने के एक दिन पूर्व क्षेत्र में मेघाच्छादन और वर्षा का होना आवश्यक है।
- घाटियों एवं बेसिनों में शीतल और सघन वायु का संकेन्द्रण होना चाहिए।
- शीत ऋतु की लंबी रात्रियों में ताप व्युत्क्रमण (Temperature Inversion) की स्थिति उत्पन्न होनी चाहिए।
- वायु प्रवाह अत्यंत मंद होना चाहिए (यदि वायु पूरी तरह स्थिर हो जाए, तो कुहरे के स्थान पर ओस अथवा पाला बनता है); वायुमंडल में कुछ विक्षोभ और मिश्रण भी आवश्यक होते हैं।
- धरातलीय विकिरण को सक्षम बनाने के लिए आकाश का स्वच्छ होना अनिवार्य है।
घाटियों, बेसिनों, तथा शीतल झीलों के ऊपर जहाँ शीतल वायु अधिक संकेंद्रित होती है, वहाँ कुहरा अधिक प्रबल रूप से देखा जाता है। पर्वतीय ढालों पर भी कुहरा एवं धुंध उपस्थित रहते हैं, जबकि शिखर पर आकाश का स्वच्छ होना अपेक्षित होता है।
विकिरण कुहरा, जिसे धरातलीय कुहरा भी कहा जाता है, सामान्यतः अल्पकालिक होता है तथा दिन में सूर्य की ऊष्मा के बढ़ने के साथ वाष्पीकृत होकर समाप्त हो जाता है।
यह ज्ञातव्य है कि जब तापमान हिमांक से नीचे चला जाता है, तो कुहरे का निर्माण नहीं होता, क्योंकि गलन क्रिया (Fusion) के दौरान मुक्त हुआ गुप्त ताप आर्द्रदर्शन (Condensation) प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न करता है।
महानगरों एवं औद्योगिक क्षेत्रों में, जहाँ पेट्रोल तथा कोयला जैसे ईंधनों के दहन से धुएँ और कणों की सघनता अधिक होती है, वहाँ ये पदार्थ आर्द्रताग्राही केंद्रों के रूप में कार्य करते हैं, जिससे उन क्षेत्रों में कुहरे का घनत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।
अभिवहन कुहरा किसे कह्ते है?
अभिवहन कुहरा (Advectional Fog)

अभिवहन कुहरे का निर्माण उस समय होता है जब अपेक्षाकृत गर्म और आर्द्र वायु किसी ठंडे स्थल या जलराशि के ऊपर से प्रवाहित होती है। इस प्रकार का कुहरा मुख्यतः शीतकाल में उत्पन्न होता है, जब धरातल पर तुषार विद्यमान होता है। समुद्री क्षेत्रों में भी इसका निर्माण होता है, जैसे- उत्तरी अटलांटिक महासागर में, जहाँ गर्म वायु गोल्फ स्ट्रीम धारा के ऊपर से प्रवाहित होकर लैब्राडोर धारा के ठंडे जल पर पहुँचती है।
सामान्यतः, जब उष्णार्द्र वायु शीतल धरातल के संपर्क में आती है, तो वह शीघ्रता से ठंडी हो जाती है, परिणामस्वरूप कुहरा निर्मित होता है। यह प्रक्रिया प्रायः समुद्र और झीलों के किनारी क्षेत्रों पर देखी जाती है। इस प्रकार के कुहरे का सृजन तापमान की क्षैतिज प्रवणता (Horizontal Temperature Gradient) के कारण होता है।
अभिवहन कुहरे का एक विशिष्ट प्रकार सागरीय कुहरा (Sea Fog) है, जो ग्रीष्मकाल में तब बनता है जब उष्णार्द्र वायु ठंडे समुद्री जल के संपर्क में आती है। इसे स्पर्शीय कुहरा या संपर्क कुहरा (Contact Fog) भी कहा जाता है। जब यह कुहरा ठंडी धाराओं के ऊपर बनता है, तो इसका घनत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। इसका प्रभाव तटीय क्षेत्रों से लगभग 15–20 मीटर तक फैल सकता है।
न्यूफाउंडलैंड के निकट, दक्षिण से प्रवाहित होने वाली उष्णार्द्र वायु और उत्तर से प्रवाहित ठंडी लैब्राडोर धारा के संगम से घना कुहरा उत्पन्न होता है। इसी प्रकार का दृश्य पैक तट (Pack Coast) पर भी देखने को मिलता है।
अभिवहन कुहरे का एक अन्य प्रकार तब बनता है जब गर्म सागरीय तटों के ऊपर अत्यधिक शीतल और स्थायी वायु का प्रवाह होता है। शीत ऋतु के दौरान आर्कटिक सागरों और नदियों के ऊपर जब ठंडी वायुराशि बहती है, तो जलराशि से वाष्प उत्पन्न होकर संघनित होती है और कुहरा निर्मित करती है। इस प्रकार के कुहरे को वाष्प कुहरा (Steam Fog) कहा जाता है।
सीमाग्र (वाताग्र) कुहरा किसे कह्ते है?
सीमाग्र (वाताग्र) कुहरा (Frontal Fog)
जब दो भिन्न प्रकृति वाली हवाएँ—एक शीतल तथा दूसरी उष्ण—विपरीत दिशाओं से आकर एक सीमा रेखा पर मिलती हैं, तो वहां वाताग्र (Front) बनता है। उष्ण वाताग्र (Warm Front) पर, गर्म वायु ठंडी वायु के ऊपर चढ़ती है, जिससे वह ठंडी होकर संघनन करती है और परिणामस्वरूप कुहरे का निर्माण होता है।
यद्यपि ऊपरी वायुमंडल में संघनन के कारण वर्षा होती है, किंतु यह वर्षा निचले स्तर की ठंडी वायु को आर्द्र कर देती है, जिससे सतही स्तर पर कुहरा बनता है।
सामान्यतः, शीत वाताग्र (Cold Front) की तुलना में उष्ण वाताग्र के समीप अधिक सघन कुहरा पाया जाता है।
कुहरे का वितरण (Distribution of Fog)
विश्वभर में कुहरे का वितरण निम्नलिखित क्षेत्रों तथा परिस्थितियों में देखा जाता है-
- अधिकांश ठंडी जलधाराएँ (जैसे- कैलिफोर्निया धारा, बेंगुएला धारा, पेरू धारा) महासागरों के पूर्वी भागों तथा महाद्वीपों के पश्चिमी तटीय प्रदेशों को प्रभावित करती हैं, परिणामस्वरूप ये क्षेत्र विश्व के सर्वाधिक कुहरे प्रभावित क्षेत्र बन जाते हैं।
- शीत ऋतु में, निम्न अक्षांशीय स्थलीय भागों पर मुख्यतः विकिरण कुहरा (Radiation Fog) पाया जाता है।
- उच्च अक्षांशीय तथा हिमाच्छादित क्षेत्रों में शीत ऋतु के दौरान जलराशियों के समीप कुहरे का निर्माण होता है।
- मध्य अक्षांशों में उत्पन्न होने वाले चक्रवातों के प्रभाव से, उत्तरी अटलांटिक महासागर के पूर्वी भागों, उत्तरी प्रशांत महासागर के एलयूशियन द्वीपों तथा अलास्का की खाड़ी के पास प्रचुर मात्रा में कुहरा पाया जाता है।
- निम्न अक्षांशीय स्थलीय भागों में विकिरण कुहरा सामान्यतः विकसित होता है, जहाँ शीत ऋतु में इसकी अधिकतम सघनता और ग्रीष्मकाल में न्यूनतम उपस्थिति होती है। वहीं सागरीय भागों में, ग्रीष्मकाल में कुहरे की अधिकतम तथा शीतकाल में न्यूनतम सघनता देखी जाती है।