पश्चिमी घाट तथा पूर्वी घाट कहाँ स्थित है?

पश्चिमी घाट कहाँ स्थित है?

पश्चिमी घाट, जिसे सह्याद्रि पर्वतमाला भी कहा जाता है, भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिमी तट के समानांतर लगभग 1,600 किमी तक फैली हुई है। यह पर्वत श्रृंखला उत्तर में तापी नदी के मुहाने से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक विस्तृत है। यह एक अवरोध पर्वत (ब्लॉक माउंटेन) है, जिसका निर्माण अधोवलन (डाउन वार्पिंग) की प्रक्रिया से हुआ है। इस पर्वत श्रृंखला की पश्चिमी ढलान अत्यधिक तीव्र है, जबकि पूर्वी ढलान अपेक्षाकृत समतल एवं सोपानी रूप में विकसित है।

यह पर्वत प्रायद्वीप की जल विभाजक रेखा के रूप में कार्य करता है, जहाँ से अधिकांश प्रमुख नदियाँ पूर्व की ओर प्रवाहित होकर बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। वहीं, पश्चिम की दिशा में बहने वाली नदियाँ अपेक्षाकृत छोटी और तेज प्रवाह वाली होती हैं, जो संकीर्ण घाटियों और विभिन्न जलप्रपातों का निर्माण करती हैं। खानदेश क्षेत्र में तापी नदी के दक्षिणी छोर से गोदावरी नदी के उद्गम स्थल त्र्यंबकेश्वर (नासिक) तक इस पर्वत की औसत ऊँचाई लगभग 600 मीटर है। हालांकि, इस क्षेत्र में कुछ शिखर 1,000 मीटर से अधिक ऊँचे हैं।

पश्चिमी घाट कहाँ स्थित है?
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16° उत्तरी अक्षांश तक यह पर्वत श्रृंखला मुख्य रूप से बेसाल्ट शैलों से बनी हुई है और यहाँ की पहाड़ियाँ सपाट शिखरों वाली हैं। इस क्षेत्र में हरिश्चंद्र (1,424 मीटर), महाबलेश्वर (1,438 मीटर), साल्हेर (1,567 मीटर) और कल्सूबाई (1,646 मीटर) प्रमुख ऊँचे शिखर हैं। महाबलेश्वर चार प्रमुख नदियों, जिनमें कृष्णा नदी भी शामिल है, का उद्गम स्थल है।

16° उत्तरी अक्षांश से दक्षिण की ओर यह पर्वतमाला मुख्य रूप से ग्रेनाइट और नीस चट्टानों से निर्मित है। नीलगिरि पहाड़ियों तक के क्षेत्र में चार्नोकाइट और शिस्ट शैलों की प्रधानता देखी जाती है। सह्याद्रि का पश्चिमी भाग 1,500 से 2,000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जहाँ मकूर्ती और दोदाबेट्टा प्रमुख पर्वत शिखर हैं। यह क्षेत्र आगे नीलगिरि पर्वत श्रृंखला से जुड़ जाता है। अनाइमुडी (2,695 मीटर) इस पठारी भाग का सर्वोच्च शिखर है, जहाँ से तीन पर्वत श्रृंखलाएँ निकलती हैं – अन्नामलाई (उत्तर दिशा में), कार्डमम पहाड़ियाँ (दक्षिण दिशा में) और पलनी पहाड़ियाँ (उत्तर-पूर्व दिशा में)। दक्षिण की ओर यह पर्वतमाला क्रमशः कम ऊँचाई की ओर ढलती जाती है।

पश्चिमी घाट में चार प्रमुख दर्रों की पहचान की गई है:

  • थाल घाट: नासिक और मुंबई के बीच आवागमन का प्रमुख मार्ग।
  • भोर घाट: मुंबई और पुणे को जोड़ने वाला मार्ग।
  • पाल घाट: कोयंबटूर और कोचीन के बीच स्थित प्रमुख संपर्क मार्ग।
  • सिनकोट दर्रा: तिरुवनंतपुरम और मदुरई के बीच स्थित मार्ग।

पूर्वी घाट (Eastern Ghats)

पूर्वी घाट कहाँ स्थित है?

पूर्वी घाट (Eastern Ghats)
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पूर्वी घाट पर्वतमाला भारतीय प्रायद्वीप के पूर्वी तट के समानांतर स्थित है, जिसकी लंबाई लगभग 800 किमी है। यह पर्वत श्रृंखला महानदी घाटी के दक्षिण से नीलगिरि पहाड़ियों तक फैली हुई है। उत्तर में, यह घाटी ओडिशा में लगभग 200 किमी चौड़ी है, जबकि दक्षिण की ओर इसकी चौड़ाई मात्र 100 किमी रह जाती है। पश्चिमी घाट की तुलना में यह श्रृंखला कम ऊँचाई वाली और खंडित स्वरूप में मौजूद है। इसकी औसत ऊँचाई लगभग 760 मीटर है, हालांकि, ओडिशा के कोरापुट जिले में स्थित न्यामगिरि और महेंद्रगिरि पर्वत शिखर 1,500 मीटर से अधिक ऊँचे हैं।

पूर्वी घाट के उत्तरी भाग में यह पर्वतमाला मुख्य रूप से नीस और चार्नोकाइट चट्टानों से बनी हुई है, जबकि नल्लामाला और पालकोंडा पहाड़ियाँ कुडप्पा एवं कुर्नूल क्रम की चट्टानों से निर्मित हैं। दक्षिणी क्षेत्र में यह पर्वतमाला जवादी और शेवराय पहाड़ियों के रूप में विस्तारित होती है। इस क्षेत्र की पर्वत चोटियाँ समतल और चौरस शिखरों वाली होती हैं।

पूर्वी घाट को विभाजित करते हुए महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी जैसी नदियों ने यहाँ पर विस्तृत और उर्वर डेल्टा क्षेत्रों का निर्माण किया है।

नीलगिरि पहाड़ियाँ पश्चिमी और पूर्वी घाट को जोड़ने का कार्य करती हैं। इनके दक्षिण में स्थित अन्नामलाई पहाड़ियाँ पालघाट दर्रे (305 मीटर) द्वारा शेष क्षेत्र से पृथक हो गई हैं। अन्नामलाई पर्वतमाला की एक शाखा पलनी पहाड़ियों के रूप में विकसित हुई है, जबकि दूसरी शाखा कार्डमम पहाड़ियों के रूप में विस्तारित है।

पश्चिमी घाट कहाँ स्थित है?

पश्चिमी घाट भारत के पश्चिमी तट के सहारे उत्तर में तापी नदी के मुहाने से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैला हुआ है।

पश्चिमी घाट कितने राज्यों में फैला है?

पश्चिमी घाट महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु सहित पाँच राज्यों में विस्तृत है।

पश्चिमी घाट में सबसे ऊंची चोटी कौन सी है?

पश्चिमी घाट की सबसे ऊँची चोटी अनाइमुडी (2,695 मीटर) है, जो केरल में स्थित है।

पश्चिमी घाट को कितने भागों में बांटा गया है?

पश्चिमी घाट को मुख्यतः तीन भागों में बाँटा गया है: उत्तरी पश्चिमी घाट, मध्य पश्चिमी घाट और दक्षिणी पश्चिमी घाट।

सह्याद्रि का दूसरा नाम क्या है?

सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला को ही पश्चिमी घाट कहा जाता है।

पश्चिमी घाट में कौन सी नदी बहती है?

कृष्णा, गोदावरी, कावेरी, तापी, और कई अन्य नदियाँ पश्चिमी घाट से निकलती हैं।

पश्चिमी घाट का दूसरा नाम क्या है?

पश्चिमी घाट को “सह्याद्रि” भी कहा जाता है।

पश्चिमी घाट कब बने थे?

पश्चिमी घाट का निर्माण अधोवलन (Down Warping) प्रक्रिया के कारण हुआ था।

सह्याद्रि की सबसे ऊंची चोटी कौन सी है?

सह्याद्रि पर्वत श्रेणी की सबसे ऊँची चोटी कल्सूबाई (1,646 मीटर) है, जो महाराष्ट्र में स्थित है।

पश्चिमी घाट में कितने दर्रे हैं?

पश्चिमी घाट में चार प्रमुख दर्रे हैं: थाल घाट (नासिक और मुंबई के बीच)
भोर घाट (मुंबई और पुणे के बीच)
पाल घाट (कोयंबटूर और कोचीन के बीच)
सिनकोट दर्रा (तिरुवनंतपुरम और मदुरई के बीच)

पश्चिमी घाट की विशेषताएँ क्या हैं?

पश्चिमी घाट एक अवरोधी पर्वत (Block Mountain) है।
इसका पश्चिमी ढाल तीव्र और पूर्वी ढाल सोपानी है।
यह प्रायद्वीप का जल विभाजक बनाता है।
यह जैव विविधता से समृद्ध क्षेत्र है।

पश्चिमी घाट की दूसरी सबसे ऊंची चोटी कौन सी है?

पश्चिमी घाट की दूसरी सबसे ऊँची चोटी दोदाबेट्टा (2,637 मीटर) है, जो तमिलनाडु में स्थित है।

पश्चिमी घाट पर्वत का दूसरा नाम क्या है?

इसे सह्याद्रि पर्वत भी कहा जाता है।

पूर्वी घाट कहाँ स्थित है?

पूर्वी घाट भारत के पूर्वी तट के समानांतर महानदी घाटी के दक्षिण से लेकर नीलगिरि पहाड़ियों तक विस्तृत हैं।

पूर्वी घाट कितने राज्यों में फैला है?

पूर्वी घाट ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों में विस्तृत है।

पूर्वी घाट की सबसे ऊँची चोटी का नाम क्या है?

पूर्वी घाट की सबसे ऊँची चोटी महेंद्रगिरि (1,501 मीटर) है, जो ओडिशा में स्थित है।

पूर्वी घाट का दूसरा नाम क्या है?

पूर्वी घाट को “महेंद्रगिरि श्रेणी” भी कहा जाता है।

पूर्वी घाट को कौन-कौन सी नदियाँ काटती हैं?

महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियाँ पूर्वी घाट को काटकर विस्तृत और उपजाऊ डेल्टा का निर्माण करती हैं।

पूर्वी घाट की विशेषताएँ क्या हैं?

यह पश्चिमी घाट की तरह श्रृंखलाबद्ध नहीं है।
इसकी औसत ऊँचाई लगभग 760 मीटर है।
यहाँ के शिखर चौरस और सपाट हैं।

नीलगिरि पहाड़ियाँ किन दो घाटों को जोड़ती हैं?

नीलगिरि पहाड़ियाँ पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट को जोड़ती हैं।

पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट में क्या अंतर है?

पश्चिमी घाट ऊँचे और अवरोधी पर्वत हैं, जबकि पूर्वी घाट अपेक्षाकृत कम ऊँचाई के और असंगठित पर्वत हैं।
पश्चिमी घाट अधिकांश नदियों का उद्गम स्थल है, जबकि पूर्वी घाट में नदियाँ घाटों को काटते हुए समुद्र में गिरती हैं।
पश्चिमी घाट में जैव विविधता अधिक पाई जाती है।

पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट का मिलन स्थल क्या है?

नीलगिरि पहाड़ियाँ पश्चिमी और पूर्वी घाट को जोड़ती हैं।

पश्चिमी घाट में कितने राज्य हैं?

पश्चिमी घाट पाँच राज्यों में विस्तृत है: महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु।

पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट के प्रमुख दर्रे कौन-कौन से हैं?

पश्चिमी घाट के प्रमुख दर्रे:
थाल घाट
भोर घाट
पाल घाट
सिनकोट दर्रा
पूर्वी घाट का प्रमुख दर्रा:
पालघाट दर्रा (305 मीटर ऊँचा)

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