आयकर विधेयक 2025
आयकर विधेयक 2025 ने भारतीय कर कानून को डिजिटल युग के अनुरूप, सरल और पारदर्शी बनाया—अब एकल ‘कर वर्ष’, डिजिटल जांच के अधिकार, और त्वरित रिफंड नियम से करदाताओं की सुविधा व कर संग्रह में इफिशिएंसी आ गई है।

समाचार में क्यों है?
संसद के दोनों सदनों ने आयकर विधेयक 2025 को पारित कर दिया है, जो भारतीय कर प्रणाली के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह विधेयक मौजूदा आयकर अधिनियम 1961 को सरल, युक्तिसंगत और संक्षिप्त बनाने के उद्देश्य से लाया गया है। 64 साल पुराने कानून को आधुनिक युग की आवश्यकताओं के अनुकूल बनाने के लिए व्यापक संशोधन किए गए हैं।
इस विधेयक की सबसे चर्चित विशेषता यह है कि यह वर्चुअल डिजिटल स्पेस की एक व्यापक परिभाषा प्रस्तुत करता है। इसमें ईमेल, सोशल मीडिया, ऑनलाइन अकाउंट, क्लाउड सर्वर, वेबसाइट और डिजिटल प्लेटफॉर्म सहित सभी डिजिटल वातावरण को शामिल किया गया है। यह परिभाषा डिजिटल युग में कर चोरी को रोकने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विधेयक में दी गई नई शक्तियों के तहत कर प्राधिकरण संभावित कर चोरी या कम आय दिखाने की जांच के लिए डिजिटल पासवर्ड तक पहुंच सकते हैं। यह प्रावधान डिजिटल अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता लाने और कर संग्रह को अधिक प्रभावी बनाने के लिए जोड़ा गया है। हालांकि इस प्रावधान को लेकर गोपनीयता के मुद्दे पर चर्चा भी हो रही है।
उद्देश्य और महत्व
आयकर विधेयक 2025 का प्राथमिक उद्देश्य भारतीय कर प्रणाली को डिजिटल युग के अनुकूल बनाना है। वर्तमान आयकर अधिनियम 1961 में पारित हुआ था जब डिजिटल तकनीक का आज जैसा विकास नहीं था। आज जब अधिकांश व्यापारिक गतिविधियां डिजिटल माध्यमों से होती हैं, तब कानून में भी इसके अनुरूप बदलाव आवश्यक था।
इस विधेयक का महत्व इस तथ्य से समझा जा सकता है कि यह ‘मूल्यांकन वर्ष’ और ‘पिछले वर्ष’ की दोहरी अवधारणाओं को समाप्त करके एक समान ‘कर वर्ष’ (1 अप्रैल से 31 मार्च तक) की अवधारणा लाता है। यह सरलीकरण करदाताओं के लिए भ्रम की स्थिति को कम करेगा और कर अनुपालन को आसान बनाएगा।
विधेयक में समय पर दाखिल रिटर्न तक सीमित धनवापसी की बाध्यता को समाप्त करने का प्रावधान भी शामिल है। यह करदाताओं के लिए एक बड़ी राहत है क्योंकि पहले देर से रिटर्न फाइल करने पर रिफंड में देरी होती थी। इससे कर प्रशासन में न्याय की भावना बढ़ेगी।
डिजिटल साक्षरता बढ़ने के साथ-साथ कर चोरी के तरीके भी बदल गए हैं। क्रिप्टोकरेंसी, डिजिटल एसेट्स और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के जरिए कर चोरी के नए तरीके सामने आए हैं। यह विधेयक इन सभी चुनौतियों से निपटने के लिए कर प्राधिकरण को आवश्यक अधिकार देता है।
महत्वपूर्ण जानकारी
आयकर विधेयक 2025 में कर प्राधिकरणों को व्यापक डिजिटल जांच शक्तियां दी गई हैं। इसके तहत वे संदिग्ध मामलों में ईमेल अकाउंट्स, क्लाउड स्टोरेज, सोशल मीडिया प्रोफाइल्स और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म की जांच कर सकते हैं। यह अधिकार विशेषकर उन मामलों में उपयोगी होगा जहां करदाता डिजिटल माध्यमों से अपनी वास्तविक आय छुपाने का प्रयास करते हैं।
नए कानून में कर वर्ष की एकल अवधारणा से कर गणना और रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया सरल हो जाएगी। पहले करदाताओं को मूल्यांकन वर्ष और पिछले वर्ष के बीच अंतर समझना पड़ता था, जो अक्सर भ्रम का कारण बनता था। अब केवल कर वर्ष की अवधारणा होगी।
रिफंड के मामले में भी महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। पहले यदि कोई करदाता देर से रिटर्न फाइल करता था तो उसका रिफंड रुक जाता था। अब यह बाध्यता हटा दी गई है, जिससे वैध रिफंड क्लेम करने वालों को न्याय मिलेगा।
विधेयक में साइबर सिक्योरिटी के पहलुओं को भी ध्यान में रखा गया है। डिजिटल जांच के दौरान डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के लिए आवश्यक सुरक्षा उपाय शामिल किए गए हैं। कर अधिकारियों को इन अधिकारों का दुरुपयोग न करने के लिए सख्त दिशानिर्देश दिए गए हैं।
तथ्य तालिका
विषय | विवरण |
---|---|
विधेयक का नाम | आयकर विधेयक 2025 |
पारित करने वाली संस्था | संसद के दोनों सदन |
पुराना कानून | आयकर अधिनियम 1961 |
मुख्य उद्देश्य | कर प्रणाली का सरलीकरण और आधुनिकीकरण |
नई अवधारणा | एकल ‘कर वर्ष’ (1 अप्रैल से 31 मार्च) |
डिजिटल कवरेज | ईमेल, सोशल मीडिया, क्लाउड, वेबसाइट |
नई शक्तियां | डिजिटल जांच और पासवर्ड एक्सेस |
रिफंड सुधार | समय सीमा की बाध्यता समाप्त |
लागू होने की तारीख | सरकारी अधिसूचना के बाद |
निष्कर्ष
आयकर विधेयक 2025 का पारित होना भारतीय कर प्रशासन के आधुनिकीकरण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह विधेयक न केवल कर संग्रह को अधिक प्रभावी बनाएगा बल्कि ईमानदार करदाताओं के लिए प्रक्रिया को सरल भी बनाएगा। डिजिटल युग की चुनौतियों से निपटने के लिए यह एक आवश्यक कदम था।
हालांकि इस विधेयक में दी गई व्यापक जांच शक्तियों को लेकर गोपनीयता की चिंताएं भी हैं, लेकिन कर चोरी रोकने और राजस्व संग्रह बढ़ाने के लिए ये अधिकार आवश्यक हैं। सरकार को इन अधिकारों के दुरुपयोग को रोकने के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय भी करने चाहिए।
यह विधेयक भारत को एक आधुनिक कर प्रणाली वाले देश बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे कर अनुपालन बढ़ेगा और सरकार की राजस्व वृद्धि में सहायता मिलेगी। आने वाले समय में इस कानून का सफल क्रियान्वयन भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में योगदान देगा।
Key Points
- संसद ने आयकर विधेयक 2025 पारित किया—आधुनिक, संक्षिप्त, डिजिटल-फ्रेंडली कानून
- 1961 का पुराना अधिनियम अब समाप्त
- कर वर्ष: 1 अप्रैल से 31 मार्च; ‘पिछला वर्ष’ शब्द समाप्त
- रिफंड: देर से रिटर्न पर भी जारी, बाध्यता समाप्त
- डिजिटल अधिकार: ईमेल, सोशल मीडिया, वेबसाइट, क्लाउड निरीक्षण की अनुमति
- कर चोरी की रोकथाम के लिए नए अधिकार व मजबूत साइबर सुरक्षा नियम
- टैक्स स्लैब वही: NIL upto ₹4L, 5% (₹4-₹8L), 10% (₹8-12L), 15% (₹12-16L), 20% (₹16-20L), 25% (₹20-24L), 30% (₹24L+)
- ₹12L तक पूरी टैक्स छूट, स्टैंडर्ड डिडक्शन ₹75,000
- लागू तिथि: अप्रैल 2026
UPSC संबंधित प्रश्न
1. प्रश्न: भारत में कर प्रशासन के आधुनिकीकरण की आवश्यकता का विश्लेषण करते हुए आयकर विधेयक 2025 के मुख्य प्रावधानों और उनके प्रभावों पर चर्चा करें।
2. प्रश्न: डिजिटल अर्थव्यवस्था में कर चोरी की चुनौतियों का आकलन करते हुए नए कर कानून में दी गई जांच शक्तियों की आवश्यकता और सीमाओं पर प्रकाश डालें।
3. प्रश्न: कर अनुपालन बढ़ाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका का मूल्यांकन करते हुए गोपनीयता और पारदर्शिता के बीच संतुलन की आवश्यकता पर चर्चा करें।
4. प्रश्न: भारतीय कर प्रणाली के सरलीकरण के उपायों का विश्लेषण करते हुए करदाता अनुकूलता और राजस्व संग्रह दोनों को बढ़ाने की रणनीति पर सुझाव दें।