
स्थिति एवं भौगोलिक स्वरूप
बुंदेलखंड पठार भौगोलिक रूप से 24°06′ उत्तरी अक्षांश से 26°22′ उत्तरी अक्षांश तथा 77°51′ पूर्वी देशांतर से 80°20′ पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। यह क्षेत्र प्राचीन भू-आकृतिक संरचनाओं का एक उदाहरण है, जिसमें मुख्य रूप से बुंदेलखंड नीस चट्टानों की अपरदित सतह पाई जाती है। इसकी उत्तरी सीमा यमुना नदी द्वारा निर्धारित होती है, जबकि अन्य दिशाओं में विंध्यन शैल समूह की उपस्थिति देखी जाती है।
इस पठारी क्षेत्र का सामान्य ढाल उत्तर की ओर है, जो यहाँ प्रवाहित होने वाली नदियों की दिशा से स्पष्ट होता है। इस भूभाग में प्रमुख नदियाँ सिंध, बेतवा, धसान, केन तथा पहुज हैं। प्रशासनिक दृष्टि से यह पठार मुख्यतः छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, दतिया एवं अन्य समीपवर्ती जिलों में विस्तृत है। संपूर्ण पठार का क्षेत्रफल लगभग 23,733 वर्ग किलोमीटर है, जो मध्य प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 7.70% भाग कवर करता है।
जलवायु
बुंदेलखंड पठार की जलवायु उष्ण कटिबंधीय आर्द्र और शुष्क जलवायु का मिश्रण प्रस्तुत करती है। यहाँ ग्रीष्म ऋतु अत्यधिक गर्म और शीत ऋतु अत्यधिक ठंडी होती है। औसत वार्षिक वर्षा 75 सेंटीमीटर से 103 सेंटीमीटर के मध्य रहती है। ग्रीष्म ऋतु में तापमान सामान्यतः 40° से 42.5° सेल्सियस तक पहुंच जाता है, जबकि जनवरी माह में न्यूनतम औसत तापमान 10° सेल्सियस तक गिर सकता है। मई का महीना सर्वाधिक उष्ण होता है।
मृदा एवं वनस्पति
इस क्षेत्र में मुख्यतः काली मिट्टी एवं लाल मिट्टी के मिश्रण से बनी बलुई दोमट मिट्टी पाई जाती है। यहाँ ऊष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन पाए जाते हैं, जिनमें तेंदू, खैर, नीम, महुआ तथा बीजा जैसे वृक्ष प्रमुख रूप से विद्यमान हैं। इसके अतिरिक्त, ऊसर भूमि पर भी कृत्रिम वनों का विस्तार किया गया है।
कृषि एवं खनिज संसाधन
बुंदेलखंड पठार में कृषि की दृष्टि से गेहूँ और ज्वार मुख्य फसलें हैं। इसके अतिरिक्त, दलहन और तिलहन की खेती भी व्यापक रूप से की जाती है। जलोढ़ मृदा वाले उत्तरी क्षेत्रों में धान की खेती अपेक्षाकृत अधिक होती है।
सिंचाई की दृष्टि से इस क्षेत्र में पर्याप्त सुविधाएँ उपलब्ध हैं, किंतु खनिज संसाधनों की उपलब्धता सीमित है। यहाँ चरागाहों की अधिकता के कारण खनन गतिविधियाँ सीमित रूप में देखी जाती हैं।
प्रमुख नगर एवं दर्शनीय स्थल
बुंदेलखंड पठार में स्थित प्रमुख नगरों में निवाड़ी, दतिया, छतरपुर, टीकमगढ़, नौगाँव, महाराजपुर, बिजावर तथा चंदेरी उल्लेखनीय हैं। यह क्षेत्र ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों से समृद्ध है।
- खजुराहो के मंदिर (छतरपुर): यह मंदिर समूह भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्ट कृतियों में से एक है, जिसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
- ओरछा के मंदिर (निवाड़ी): ओरछा का किला एवं रामराजा मंदिर इस क्षेत्र की ऐतिहासिक विरासत को प्रदर्शित करते हैं।
- पीताम्बरा शक्तिपीठ (दतिया): यह शक्ति उपासकों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
- सातखंडा महल (दतिया): यह महल वीरसिंह जू द्वारा निर्मित एक उत्कृष्ट वास्तुशिल्पीय उदाहरण है।
- चंदेरी (अशोकनगर): यह नगर प्राचीन काल में राजा शिशुपाल की राजधानी थी और वर्तमान में ऐतिहासिक दुर्गों एवं वस्त्र उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।
- सोनागिरी जैन मंदिर: यह स्थान जैन तीर्थ यात्रियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यातायात एवं परिवहन
बुंदेलखंड पठार के प्रमुख नगर सड़क मार्ग द्वारा मध्यप्रदेश के अन्य प्रमुख नगरों से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा, कुछ नगर रेलवे नेटवर्क से भी जुड़े हैं, जिससे क्षेत्रीय यातायात और व्यापार को सुविधा प्राप्त होती है।
भू-आकृतिक विशेषताएँ
- बुंदेलखंड पठार के कुछ क्षेत्र समतलप्राय मैदान (Peneplain) के उत्कृष्ट उदाहरण माने जाते हैं। विशेष रूप से, सागर से झांसी जाने के मार्ग पर इसकी भू-आकृति को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
- इस क्षेत्र में डाइक (Dyke) संरचनाओं से बनी हुई पहाड़ियाँ विद्यमान हैं।
- यह पठार तीन ओर अर्द्ध चंद्राकार पर्वत शृंखलाओं से घिरा हुआ है, जिनमें पन्ना श्रेणी, बिजावर श्रेणी, नरहट स्कार्प एवं चंदेरी पाट प्रमुख हैं।
- उत्तर दिशा में स्थित प्रमुख नदियाँ बेतवा एवं धसान इस क्षेत्र की जल निकासी प्रणाली का प्रमुख भाग हैं।
- इस समतलप्राय भू-भाग पर कुछ ग्रेनाइट चट्टानों से निर्मित छोटी पहाड़ियाँ भी पाई जाती हैं, जिन्हें टोर (Tor) कहा जाता है।
आर्थिक एवं सामाजिक महत्व
बुंदेलखंड पठार मध्यप्रदेश के उत्तर में विस्तृत उपजाऊ घाटियों और तरंगित पहाड़ियों से युक्त क्षेत्र है। यह कृषि, पशुपालन तथा लघु उद्योगों के लिए उपयुक्त स्थल है। इस क्षेत्र की मिश्रित मिट्टी कृषि उत्पादन को समर्थन प्रदान करती है।
बेतवा नदी को इस क्षेत्र की “जीवनरेखा” कहा जाता है, क्योंकि यह कृषि एवं जल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है।
परीक्षा बिंदु
- बुंदेलखंड पठार की सर्वोच्च चोटी “सिद्ध बाबा की चोटी” (1172 मीटर) दतिया जिले में स्थित है।
निष्कर्ष
बुंदेलखंड पठार अपनी विशिष्ट भौगोलिक संरचना, ऐतिहासिक विरासत, प्राकृतिक संसाधनों एवं कृषि उत्पादकता के कारण मध्यप्रदेश के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। इस क्षेत्र में जलवायु की विविधता, मृदा की विशेषताएँ एवं भू-आकृतिक स्वरूप इसे अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण विषय बनाते हैं।