चंबल नदी का उद्गम एवं समापन
चंबल नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के महू (इंदौर) के समीप परशुराम कुंड, जानापाव पहाड़ी (विंध्याचल पर्वत श्रृंखला) से होता है, जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से 854 मीटर है। यह नदी उत्तर तथा उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित होती हुई राजस्थान में प्रवेश करती है। इसके पश्चात, पुनः मध्यप्रदेश में प्रविष्ट होकर मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा का निर्धारण करती है। यह नदी मध्यप्रदेश के श्योपुर, मुरैना, भिण्ड जिलों से होते हुए उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में प्रवेश करती है तथा इटावा के समीप यमुना नदी में विलीन हो जाती है। इस प्रकार, यह यमुना नदी की दक्षिणी ओर से मिलने वाली प्रमुख सहायक नदी के रूप में जानी जाती है।

चंबल नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ कौन-कौन सी हैं?
चंबल नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ निम्नलिखित हैं:
- काली सिंध
- पार्वती
- क्षिप्रा
- सीप
- शिवना
- कुनो
- बनास
इन सहायक नदियों के मिलने से चंबल नदी का जलग्रहण क्षेत्र विस्तृत हो जाता है, जिससे इसकी अपवाह प्रणाली और अधिक सशक्त बनती है।
चंबल नदी की कुल लंबाई कितनी है?
चंबल नदी की कुल लंबाई 965 किमी मानी जाती है। हालांकि, कुछ स्रोतों में इसकी लंबाई 995 किमी भी उल्लिखित की गई है।
चंबल नदी पर कौन-कौन से प्रमुख जलप्रपात हैं?
राजस्थान के कोटा मंडल में स्थित भैंसरोडगढ़ के निकट चंबल नदी 18 मीटर ऊँचा चूलिया जलप्रपात का निर्माण करती है, जो इस क्षेत्र का एक प्रमुख प्राकृतिक आकर्षण है।
चंबल नदी पर कौन-कौन से प्रमुख बाँध बने हुए हैं?
चंबल नदी सिंचाई एवं जलविद्युत उत्पादन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस पर कई बहुउद्देशीय परियोजनाएँ संचालित की जाती हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- गांधी सागर बाँध
- राणाप्रताप सागर बाँध
- जवाहर सागर बाँध
इन परियोजनाओं के माध्यम से मध्यप्रदेश और राजस्थान को सिंचाई एवं जल विद्युत उत्पादन के लिए आवश्यक जल उपलब्ध कराया जाता है।
पौराणिक संदर्भ एवं अन्य नाम
चंबल नदी को प्राचीन काल में चर्मणवती कहा जाता था। कालिदास द्वारा रचित “मेघदूतम्” में इसे चर्मवती के नाम से वर्णित किया गया है। इसी आधार पर कालांतर में इसका नाम चंबल पड़ा। इसके अतिरिक्त, यह नदी कामधेनु एवं नित्यवाही नामों से भी जानी जाती है।
त्रिवेणी संगम कहाँ स्थित है?
राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में बनास, चंबल एवं सीप नदियों के संगम पर स्थित भगवान शिव का पवित्र स्थल रामेश्वरम त्रिवेणी संगम के रूप में प्रसिद्ध है। यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
पंचनद संगम क्या है और यह कहाँ स्थित है?
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में स्थित पंचनद संगम का विशेष महत्व है, जहाँ पाँच प्रमुख नदियों का मिलन होता है:
- यमुना
- चंबल
- सिंध
- पहुज
- क्वांरी
इस संगम स्थल को धार्मिक, भौगोलिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
विशेषताएँ
- चंबल नदी मुरैना एवं भिण्ड जिलों में प्रवाहित होते हुए गहरी खाइयाँ एवं बीहड़ों का निर्माण करती है, जिन्हें रवीन्स (Ravines) कहा जाता है।
- यह नदी अपने अपवाह क्षेत्र में अवनालिका अपरदन (गहरी खाइयों का निर्माण) करती है।
- चंबल नदी का अपवाह क्षेत्र तीन प्रमुख राज्यों – मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में विस्तृत है।
- लश्कर मैदान की सीमा का निर्धारण चंबल और यमुना नदियों द्वारा किया जाता है।
- यह नदी मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच प्राकृतिक सीमा रेखा का कार्य करती है।
चंबल नदी न केवल भौगोलिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्रीय जल संसाधनों, सिंचाई, विद्युत उत्पादन तथा जैव विविधता संरक्षण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
चंबल नदी का उद्गम स्थल कहाँ है?
चंबल नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के महू (इंदौर) के समीप परशुराम कुंड, जानापाव पहाड़ी (विंध्याचल पर्वत श्रृंखला) से होता है, जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से 854 मीटर है।
चंबल नदी कहाँ समाप्त होती है?
चंबल नदी उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में प्रवेश कर यमुना नदी में विलीन हो जाती है।
चंबल नदी की कुल लंबाई कितनी है?
चंबल नदी की कुल लंबाई 965 किमी मानी जाती है। हालांकि, कुछ स्रोतों में इसकी लंबाई 995 किमी भी उल्लिखित की गई है।
चंबल नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ कौन-कौन सी हैं?
चंबल नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं:
काली सिंध
पार्वती
क्षिप्रा
सीप
शिवना
कुनो
बनास
चंबल नदी पर कौन-कौन से प्रमुख जलप्रपात हैं?
राजस्थान के कोटा मंडल में स्थित भैंसरोडगढ़ के निकट चंबल नदी 18 मीटर ऊँचा चूलिया जलप्रपात का निर्माण करती है, जो इस क्षेत्र का एक प्रमुख प्राकृतिक आकर्षण है।
चंबल नदी पर कौन-कौन से प्रमुख बाँध बने हुए हैं?
चंबल नदी पर निम्नलिखित प्रमुख बाँध स्थित हैं:
गांधी सागर बाँध
राणाप्रताप सागर बाँध
जवाहर सागर बाँध
चंबल नदी का प्राचीन नाम क्या था?
चंबल नदी को प्राचीन काल में “चर्मणवती” कहा जाता था। कालिदास द्वारा रचित “मेघदूतम्” में इसे “चर्मवती” के नाम से वर्णित किया गया है।
त्रिवेणी संगम कहाँ स्थित है?
राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में बनास, चंबल एवं सीप नदियों के संगम पर स्थित भगवान शिव का पवित्र स्थल रामेश्वरम त्रिवेणी संगम के रूप में प्रसिद्ध है।
पंचनद संगम क्या है और यह कहाँ स्थित है?
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में स्थित पंचनद संगम का विशेष महत्व है, जहाँ पाँच प्रमुख नदियों – यमुना, चंबल, सिंध, पहुज और क्वांरी का संगम होता है।
चंबल नदी किन राज्यों से होकर बहती है?
चंबल नदी मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों से होकर बहती है।
चंबल नदी किस प्रकार की भूमि संरचना बनाती है?
चंबल नदी अपने अपवाह क्षेत्र में अवनालिका अपरदन (गहरी खाइयों का निर्माण) करती है। इसके कारण मुरैना और भिंड जिलों में प्रसिद्ध बीहड़ क्षेत्र विकसित हुआ है।
चंबल नदी का जल किस कारण पवित्र माना जाता है?
चंबल नदी का जल अन्य नदियों की तुलना में कम प्रदूषित माना जाता है क्योंकि इसके किनारे औद्योगिक और शहरी विकास अपेक्षाकृत कम हुआ है।
चंबल नदी को भूतिया नदी क्यों कहा जाता है?
ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल में द्रौपदी ने इस नदी को श्राप दिया था, जिसके कारण इसे भूतिया नदी कहा जाता है।
द्रौपदी ने चंबल नदी को श्राप क्यों दिया था?
पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था, तब किसी ने भी उनकी सहायता नहीं की। इस कारण उन्होंने चर्मणवती (चंबल) नदी को श्राप दिया कि इसका जल कभी पवित्र नहीं माना जाएगा।
चंबल नदी में स्नान क्यों नहीं किया जाता?
लोक मान्यता के अनुसार, द्रौपदी के श्राप के कारण चंबल नदी को अशुद्ध माना जाता है, इसलिए इसमें स्नान करने की परंपरा नहीं है।
भारत का सबसे बड़ा नदी अपवाह तंत्र कौन सा है?
भारत का सबसे बड़ा नदी अपवाह तंत्र गंगा नदी का अपवाह तंत्र है।
विश्व का सबसे बड़ा नदी तंत्र कौन सा है?
विश्व का सबसे बड़ा नदी तंत्र अमेज़न नदी का अपवाह तंत्र है।
चंबल नदी का अपवाह तंत्र किस प्रकार का है?
चंबल नदी का अपवाह तंत्र असममित अपवाह तंत्र का उदाहरण है, जो मुख्यतः उत्तर और उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित होती है।
चंबल नदी दक्षिण से उत्तर की ओर क्यों बहती है?
चंबल नदी की प्रवाह दिशा मुख्यतः भौगोलिक ढलान के कारण दक्षिण से उत्तर और उत्तर-पूर्व की ओर बनी हुई है।
चंबल नदी कहाँ से शुरू और समाप्त होती है?
चंबल नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के महू (इंदौर) जिले में जानापाव पहाड़ी से होता है और इसका समापन उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में यमुना नदी में होता है।