
परिचय
मध्यप्रदेश की प्रमुख नदियों में सम्मिलित नर्मदा, जिसे प्रायः “राज्य की जीवनरेखा” कहा जाता है, एवं मोक्षदायिनी सोन नदी के जलग्रहण क्षेत्र को नर्मदा-सोन घाटी के नाम से जाना जाता है। यह क्षेत्र न केवल जलस्रोतों की उपलब्धता, बल्कि भू-आकृतिक संरचना, कृषि संभावनाओं एवं खनिज संसाधनों की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भौगोलिक विस्तार
नर्मदा-सोन घाटी 22°30′ से 23°45′ उत्तरी अक्षांश तथा 74° से 81°30′ पूर्वी देशांतर के मध्य विस्तृत है। इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 86,000 वर्ग किलोमीटर है, जो मध्यप्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 26% है। यह घाटी मुख्य रूप से जबलपुर, मंडला, नरसिंहपुर, नर्मदापुरम, खंडवा तथा खरगोन जिलों में विस्तारित है।
भू-आकृतिक संरचना
नर्मदा-सोन घाटी का निर्माण भूगर्भीय हलचलों के फलस्वरूप भ्रंशों (Faults) में हुआ है। यह क्षेत्र प्रायद्वीपीय भारत के भू-खंड का अंग है, जहाँ विभिन्न भूवैज्ञानिक युगों में सक्रिय टेक्टोनिक गतिविधियों के कारण भ्रंश, कगार (Escarpments) एवं अन्य स्थलाकृतियाँ विकसित हुई हैं।
मिट्टी एवं कृषि
- मिट्टी का प्रकार:
- नर्मदा घाटी में गहरी काली मिट्टी अधिक प्रचलित है, जो कृषि के लिए अत्यंत उपयुक्त मानी जाती है।
- नदी के समीप जलोढ़ मिट्टी तथा ऊँचाई वाले क्षेत्रों में लाल एवं भूरी चिकनी मिट्टी पाई जाती है, जिसमें कंकड़ मिश्रित होते हैं।
- सोन घाटी में जलोढ़ निक्षेप अपेक्षाकृत कम हैं, जिसके कारण यहाँ कृषि की संभावनाएँ सीमित हैं।
- प्रमुख फसलें:
- नर्मदा घाटी को गेहूँ उत्पादन का मुख्य क्षेत्र माना जाता है।
- इसके अतिरिक्त, इस क्षेत्र में चावल, दलहन एवं तिलहन की खेती भी की जाती है।
- सिंचाई के साधनों की उपस्थिति के कारण नर्मदा घाटी में कृषि उत्पादन अपेक्षाकृत अधिक है।
जलवायु
इस क्षेत्र में वर्षा की मात्रा पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ती जाती है।
- अधिकतम दैनिक तापमान मई में तथा न्यूनतम तापमान दिसंबर में दर्ज किया जाता है।
- नर्मदा घाटी की जलवायु अपेक्षाकृत आर्द्र एवं कृषि-अनुकूल है, जबकि सोन घाटी में जलवायु अधिक शुष्क होती है।
खनिज संसाधन
- नर्मदा घाटी में चूना पत्थर, फायर क्ले, गेरू, संगमरमर पत्थर प्रमुख रूप से पाए जाते हैं।
- सोन नदी की घाटी में चूना पत्थर एवं कोयले के महत्वपूर्ण भंडार उपलब्ध हैं।
- नर्मदा के पूर्वी एवं दक्षिण-पूर्वी भाग में गोंडवाना काल के कोयला भंडार स्थित हैं।
- इस क्षेत्र में आर्कियन युग से लेकर होलोसीन युग तक की चट्टानें पाई जाती हैं।
यातायात एवं नगरीकरण
- नर्मदा घाटी में यातायात का अच्छा विकास हुआ है, जिसके अंतर्गत रेलवे एवं सड़क मार्गों का व्यापक जाल फैला हुआ है।
- सोन घाटी में रेलवे परिवहन सीमित है, जिससे इस क्षेत्र का नगरीकरण अपेक्षाकृत कम हुआ है।
- नर्मदा नदी के तटवर्ती नगरों में जनसंख्या घनत्व अधिक है, जबकि सोन घाटी में नगरों की संख्या कम होने के कारण जनसंख्या विरल पाई जाती है।
भौगोलिक विशेषताएँ
- नर्मदा घाटी में मुख्य रूप से दक्कन ट्रैप चट्टानों का विस्तार है, जिनमें बीच-बीच में क्वार्ट्जाइट पहाड़ियाँ देखी जा सकती हैं, जैसे हंडिया के निकट क्वार्ट्जाइट पहाड़ियाँ।
- नर्मदा नदी मध्यप्रदेश की पश्चिमी सीमा पर अखरानी पहाड़ियों को काटते हुए 120 किमी लंबे मुकरता गार्ज में प्रवेश करती है।
- इस नदी के पश्चिमी प्रवाह में प्रवेश करने के पश्चात यह गुजरात के मैदान में उतरती है।
महत्वपूर्ण बिंदु
- नर्मदा नदी को मध्यप्रदेश की जीवनरेखा कहा जाता है, क्योंकि यह कृषि एवं पेयजल की प्रमुख स्रोत है।
- नर्मदा-सोन घाटी राज्य का सबसे नीचा भाग है, जिसकी औसत ऊँचाई 300 मीटर है।
- यह एक संकरी एवं लंबी भ्रंश घाटी है, जो पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर विस्तारित है।
- नर्मदा घाटी सतपुड़ा एवं विंध्यांचल पर्वत श्रेणियों के मध्य स्थित है।