राजस्थान के 7 संभाग – संपूर्ण प्रशासनिक विवरण 2025

राजस्थान में वर्तमान में 7 संभाग हैं (2025): जयपुर, अजमेर, भरतपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर और कोटा। इन संभागों में कुल 41 जिले शामिल हैं। जोधपुर संभाग में सबसे ज्यादा 8 जिले हैं, जबकि बीकानेर और कोटा में 4-4 जिले हैं।
देश की प्रशासनिक व्यवस्था को सुनियोजित और कुशल बनाने हेतु पूरे देश को विभिन्न राज्यों में विभाजित किया गया है। इसके उपरांत, प्रत्येक राज्य को जिलों में बाँटा गया है। राजस्थान राज्य में, राज्य और जिलों के बीच एक और प्रशासनिक इकाई होती है जिसे संभाग कहा जाता है। एक संभाग में कई जिले सम्मिलित होते हैं।
वर्ष 2025 तक राजस्थान में कुल 7 संभाग अस्तित्व में हैं। नीचे प्रत्येक संभाग और उसके अंतर्गत आने वाले जिलों की जानकारी दी गई है:
| सं. | संभाग | जिलों की संख्या | अंतर्गत जिले |
|---|---|---|---|
| 1 | जयपुर | 7 | जयपुर, बहरोड़-कोटपूतली, खैरथल-तिजारा, अलवर, सीकर, झुन्झुनूं, दौसा |
| 2 | अजमेर | 6 | अजमेर, ब्यावर, टोंक, नागौर, डीडवाना-कुचामन, भीलवाड़ा |
| 3 | भरतपुर | 5 | भरतपुर, धौलपुर, करौली, डीग, सवाई माधोपुर |
| 4 | जोधपुर | 8 | जोधपुर, फलौदी, जैसलमेर, बाड़मेर, बालोतरा, पाली, जालौर, सिरोही |
| 5 | उदयपुर | 7 | उदयपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, सलुम्बर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ |
| 6 | बीकानेर | 4 | बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू |
| 7 | कोटा | 4 | कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ |
प्रमुख तथ्य:
- हाल के वर्षों में, राजस्थान में नए जिले बनाए गए हैं, जिससे कुछ पुराने जिलों का विभाजन हुआ है।
- इन नए जिलों को पूर्ववर्ती संभागीय संरचना में ही सम्मिलित किया गया है।
- प्रशासनिक सुगमता और स्थानीय विकास को ध्यान में रखते हुए यह विभाजन अत्यंत महत्त्वपूर्ण और नीतिगत दृष्टिकोण से प्रभावशाली सिद्ध हो रहा है।
राजस्थान के संभागीय पुनर्गठन की पृष्ठभूमि
राजस्थान में संभागीय व्यवस्था की स्थापना का उद्देश्य राज्य प्रशासन को अधिक सुसंगठित और क्षेत्रीय विकास के अनुकूल बनाना था। आरंभ में यह संघटित ढांचा राज्य की कार्यप्रणाली को केन्द्रीयकृत नियंत्रण से मुक्त कर, स्थानीय प्रशासन को सशक्त करने हेतु विकसित किया गया।
1949 में हीरालाल शास्त्री सरकार द्वारा इस प्रणाली की शुरुआत की गई, जो कि आधुनिक राजस्थान के प्रशासनिक विकास की एक उल्लेखनीय पहल थी। हालांकि, यह व्यवस्था ज्यादा समय तक प्रभावी नहीं रह सकी और अप्रैल 1962 में मोहनलाल सुखाड़िया सरकार द्वारा इसे विलीन कर दिया गया। इस निर्णय का मुख्य कारण उस समय की राजनीतिक प्राथमिकताएँ और प्रशासनिक एकरूपता को सुनिश्चित करना था।
बाद में, 15 जनवरी 1987 को हरिदेव जोशी सरकार ने पुनः संभागीय ढांचे को सक्रिय किया, जिससे राज्य के प्रशासनिक संचालन में पुनः क्षेत्रीय दक्षता का समावेश हो सका।
प्रशासनिक उन्नयन की प्रमुख घटनाएँ
- 1987 में अजमेर को एक नया संभाग घोषित किया गया, जिसे जयपुर संभाग से अलग कर स्वतंत्र प्रशासनिक इकाई के रूप में स्थापित किया गया।
- इसके पश्चात, 4 जून 2005 को भरतपुर को सातवें संभाग के रूप में मान्यता दी गई, जिससे राज्य में विकास की क्षेत्रीय असंतुलन को कम करने का सार्थक प्रयास हुआ।
- 2023 में गठित पाली, सीकर एवं बांसवाड़ा संभागों को 2024–25 में वर्तमान राज्य सरकार ने प्रशासनिक समीक्षा के उपरांत निरस्त कर दिया, जिससे पुनः 7 संभागीय संरचना यथावत बनी रही।
महत्त्वपूर्ण बिंदु (2025 तक)
- संभागों की कुल संख्या: 7
- सबसे अधिक जिलों वाला संभाग: जोधपुर (8 जिले)
- चार-चार जिलों वाले संभाग: बीकानेर और कोटा
- संभागीय संरचना का पुनः सक्रिय होना: 1987
- नवीनतम परिवर्तन: 2023–24 में बनाए गए अतिरिक्त संभागों को 2025 तक स्थगित/समाप्त कर दिया गया है।
