अंतर्जात एवं बहिर्जात बल (Endogenetic & Exogenetic Forces) – विस्तृत व्याख्या

अंतर्जात एवं बहिर्जात बल (Endogenetic & Exogenetic Force)

अन्तर्जनित भूसंचलन (Endogenetic Movement)

  • पटल विरूपण संचलन (Diastropic Movement)
  • आकस्मिक संचलन (Sudden Movement)

बहिर्जनित भूसंचलन (Exogenetic Movement)

  • अनाच्छादन (Denudation)

अंतर्जात बल (Endogenetic Force)

पृथ्वी के आंतरिक भाग से उत्पन्न बल को अंतर्जात बल कहते हैं। अंतर्जात बल से उत्पन्न होने वाले भू-संचलन के कारण विभिन्न स्थलाकृतियों की उत्पति होती है, इसलिये इसे ‘रचनात्मक संचलन’ भी कहते हैं।

पृथ्वी की सतह पर जनित बहिर्जात बल द्वारा उत्पन्न भू-संचलन से भू-सतह पर निर्मित स्थलाकृतियाँ समतल मैदान में परिवर्तित हो जाती हैं, इसलिये इन्हें ‘समतल स्थापक बल’ द्वारा उत्पन्न ‘विनाशात्मक भूसंचलन’ भी कहते हैं।

अंतर्जात आकस्मिक संचलन (Endogenetic Sudden Movement)

इसके द्वारा उत्पन्न घटनाएँ आकस्मिक होती हैं, इनके द्वारा अचानक ही भूतल के ऊपर तथा नीचे विनाशकारी परिवर्तन हो जाते हैं, जैसे- भूकम्प तथा ज्वालामुखी क्रियाएँ।

पटलविरूपणी संचलन (Diastrophic Movement)

पृथ्वी के आंतरिक भाग में मंद गति से उत्पन्न होने वाले लम्बवत् तथा क्षैतिज संचलन को पटलविरूपणी संचलन कहते हैं। इससे महाद्वीप व पर्वतों का निर्माण होता है। मंद गति से होने वाले इस संचलन को ‘विवर्तनिकी संचलन’, ‘समस्थैतिक संचलन’ और ‘सुस्थैतिक संचलन’ के रूप में परिभाषित किया जाता है।

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महादेशजनक संचलन (Epirogenic Movement)

मंद गति से उत्पन्न लम्बवत अंतर्जनित भू-संचलन को महादेशजनक संचलन कहते हैं। उल्लेखनीय है कि महाद्वीपों में उत्थान व अवतलन तथा निर्गमन व निमज्जन की क्रियाएँ होती हैं।

ऊर्ध्वमुखी संचलन (Upward Movement)

ऊर्ध्वमुखी संचलन के कारण जब महाद्वीप का कोई भाग अपनी समीपी सतह से ऊँचा उठ जाता है, तब इसे उत्थान (Upliftment) या उभार कहते हैं। इसके विपरीत, महाद्वीप का तटीय भाग जब सागरतल (जो पहले जलमग्न था) से ऊपर उठ जाता है तो इसे निर्गमन (Emergence) कहते हैं।

अधोमुखी संचलन (Downward Movement)

अधोमुखी संचलन के कारण जब स्थल का भाग स्थानीय या प्रादेशिक रूप से अपनी समीपी सतह से नीचे धँस जाता तब इसे ‘अवतलन’ कहते हैं, जबकि इसके विपरीत तटीय भाग के जलमग्न होने पर इसे ‘निमज्जन’ कहते हैं।

पर्वतीय संचलन (Orogenetic Movement)

ओरोजेनेटिक ग्रीक भाषा के ‘ओरोज़’ (Oros) तथा ‘जेनेसिस’ शब्द से मिलकर बना है, जिसका अर्थ ‘पर्वत की उत्पत्ति’ होता है।

क्षैतिज या स्पर्श रेखीय बल (Tangential Force) के कारण उत्पन्न अंतर्जनित पटलविरूपण संचलन को ही ‘पर्वतीय संचलन’ कहते हैं।

संवलन (Warp)

संवलन का प्रभाव दूर तक विस्तृत क्षेत्रों में होता है, जिसके कारण भूतल का विस्तृत भाग या तो ऊपर उठ जाता है या नीचे धँस जाता है।

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वलन (Folds)

पृथ्वी के अंतर्जात बलों द्वारा भूपटलीय चट्टानों में संपीडन के कारण लहरनुमा मोड़ पड़ जाते हैं। इस तरह के मोड़ों को वलन कहते हैं।

भ्रंश (Fault)

भ्रंश तनावमूलक भू-संचलन की तीव्रता के कारण भूपटल की शैलों में एक तल के सहारे उत्पन्न दरार या विभंग (Fracture) है, जिसमें विभंग तल के सहारे बड़े पैमाने पर शैल खंडों का स्थानांतरण होता है।

अवरोधी पर्वत (Block Mountains or Horst)

भूतल पर जब किसी दरार क्षेत्र की दो दरारों के बीच का भाग ऊपर उठ जाए और आस-पास का क्षेत्र या तो नीचे धँस जाए या पहले की स्थिति में ही यथावत् रहे, ऐसे ऊपर उठे हुए खंड को ‘अवरोधी पर्वत’ कहते हैं।

दरार घाटी (Rift Valley or Graben)

दरार क्षेत्र में जब किसी भूखंड के दोनों ओर के भाग नीचे धँस जाते हैं और बीच का भाग ऊपर उठ जाता है, तो उसे दरार घाटी कहते हैं।

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